Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
१०८
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
महानिसीहं ६ //१३३३
(१३३३) जस्स न नज्जइ कालं न य वेला नेय दियह- परिमाणं नाए वि नत्थि कोइ वि जगम्मि अजरामरो एत्थं (१३३४) पावो पमाय-वसओ जीवो संसार-कामुत्तो दुक्खेहिं न निव्विण्णो लोक्खेहिं न गोयमा तिप्पे ( ११३५) जीवेण जाणि उ विसजियाणि जाई -सएसु देहाणि येवेहिं तओ सयलं पि तिहुयणं होज्जा पडइत्थं (१३३६) नह- दंत- मुख-ममुहक्खि- केस जीवेण विप्पमुक्केसु तेसु वि हवेज कुल-सेल-मेरु- गिरि-सन्निभे कूड़े (१३३७) हिमवंत मलय-मंदर - दीवोदहि-धरणि सरिस-रासीओ अहिययरो आहारो जीवेणाहारिओ अनंतहुत्तो (१३३८) गुरु- दुक्ख-मरुक्कंतस्स अंसु-निवाएण जं जलं गलियं अगड-तलाय-नई- समुद्द- माईसु न वि होजा (१३३९) आवीयं यण- छीरं सागर-सलिलाओ बहुयरं होजा संसारम्मि अनंते अविला - जोणीए एक्काए ( १३४०) सत्ताह - विवन्न - सुकुहिय-साण- जोणीए मज्झ-देसम्मि किमियत्तण- केवलएण जाणि मुक्काणि देहाणि (१३४१ ) तेसिं सत्तम - पुढवीए सिद्धि-खेत्तं च जाव उक्कुरुडं चोदस-रज्जुं लोगं अनंत-भागेण वि भरिजा
( १३४२) पत्ते य काम भोगे कालं अनंतं इथं सउवभोगे अपुव्वं चिप मन्नए जीवो तह वि य विसय-सोक्खं (१२४३) जह कच्छुल्लो कच्छ्रं कंडुयमाणो दुहं मुणइ सोक्खं हमसात काम- दुहं सुहं बेति
(१३४४) जाणंति अनुबति य जम्म-जरा-मरण-संभवे दुक्खे
न य बिसएसु विरति गोयमा दोग्गई-गमण-पत्थिए जीवे ॥४०५॥ ( १३४५) सव्व- गहाणं पभवो महागही सव्वदोस- पायड्ढि काम हो उ दुरप्पा तस्स वसं जे गया पाणी
(१३४६) जाणंति जहा भोग- इड्ढि - संपया सव्यमेव धम्मफलं तह विद-मूढ-हियए पावं काउण दोग्गई जंति (१३४७) वच्चइ खणेण जीवी पित्ताणिल सेंम धाउ-खोमेहिं उज्जम मा विसयह तरतम जोगो इमो दुसहो (१३४८) पंचिंदियत्तणं माणुसत्तणं आरियं जणं सुकुलं साहु-समागम-सुणणं सद्दहणारोग्ग- पव्वज्जा (१३४९) सूल - विस अहि-विसुइया - पाणिय-सत्यग्गि-संघमेहिं च देहंतर-संकमणं कोइ जीवो मुहुत्तेणं (१३५०) जाब आउ सावसेसं जाव य थेवो वि अस्थि वबसाओ ताव करे अप्प - हियं मा तप्पिहहा पुणो पच्छा
For Private And Personal Use Only
॥ ३९४ ॥
॥३९५॥
॥३९६ ॥
॥३९७॥
॥३९८॥
॥३९९॥
॥४००||
||४०१ ||
४०२ ||
||४०३ ॥
॥ ४०४ ॥
॥ ४०६ ॥
१४०७ ॥
||४०८||
||४०९ ।।
॥ ४१० ॥
||४११ ||

Page Navigation
1 ... 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154