Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 136
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||१०० अज्यपणं-७ : पठमा घूशिया (१४७९) सद्दारूवा रसा गंधा फासाणं पवियारणे पेहुणस्स वेरमणे एस चउत्याइक्कमे (१४८०) इच्छा मुच्छा य गेही य कंखा लोभे य दारुणे परिग्गहस्स वेरमणे पंचमगे साइक्कमे १०१! (१४८१) अइमित्ताहारहोइत्ता सूर-खेत्तरिम संकिो राई-भोयणस्स वेरमणे एस छडे अइक्कमे ॥१०॥ (१४८२) आलोइय-निंदिय-गरहिओ विकय-पायच्छित्त नीसल्लो जयणं अयाणमाणो मव-संसारे भमे जहा सुसढो ||१०३॥ (१४८३) मयंव को उण सो सुसढो कयरा वा सा जयणा जं अजाणमाणस णं तस्स आलोइय-निंदिय गरहिओ वि कप-पायच्छितस्सा वि संसारं नो विणिद्वियं ति गोयमा जयणा नाम अट्ठारसहं सीलंग सहस्साणं सत्तरस-विहस्सणं संजमस्स चोद्दसण्हं भूय-गामाणं तेरसण्हं किरिया. ठाणाणं सबझन्मंतरस्स णं दुवालस-विहस्स णं तवोणुष्वाणस्स दुवालसाणं भिक्खू-पडिमाणं दसविहस्स णं समणधम्मस्स नदण्डं चेव यंभगुत्तीणं अट्ठण्हं तु पवयण-माईणं सतण्डं चेव पाणपिंडेसणाणं छहं तु जीवनिकायाणं पंचण्हं तु महव्ययाणं तिण्हं तु चेव गुत्तीणं जाव णं तिण्हमेव सम्मईसण-नाण-चरित्ताणं तिण्हं तु भिक्खू कंतार-दुभिक्खायंकाईसु णं सुमहासमुप्पनेसु अंतोमुहंतावसेस-कंठग्गय-पाणेसु पि णं मणसा दि उ खंडणं विराहणं न करेज न कारवेना न समणुजाणेजा जावणं नारभेजा न समारभेजा मायझीयाए ति से णं जयणाए पत्ते से णं जयणाए धुचे से णं जयणाए दक्खे से णं जयणाए-वियाणे त्ति गोयमा सुसढस्स उ न महती संकहा परम-विम्हय-जप्पणी या ततम अझपर्ष - [पठमा चूतिया समतं. अमं अग्झयणं-बिइया चूलिया (१४८r) से मययं केणं अटेणं एवं वुच्चइ ते णं काले ण ते णं समएणं सुसढणामधेजे अणगारे हभूयवं तेणं च एगेगस्स णं पक्खस्संतो पभूय द्वाणिओ आलोयणाओ विदिनाओ सुपहंताईच अनंत-घोर-सुदुक्कराई पायच्छित्ताणं समणुचित्राइंतहा वि तेणं विरएणं विसोहिपयं न समुवलद्धं ति एतेणं अटेणं एवं वुधइ से मयवं केरिसा उणं तस्स सुसढस्स क्त्तव्वया गोयमा अस्थि इहं चैव भारहेवासे अवंती नाम जणयओ तत्थ य. संयुक्के नाम खेडगे तम्मिय जम्मदरिद्दे निम्मेरे निक्किवे किविणे निरणुकंपे अइकूरे निक्कलुणे नितिसे रोदे चंडरोद्दे पयंड-दंडे पावे अभिग्गहिय-मिच्छादिट्ठी अनुचरिय-नामधेजे सुजसिवे नामधिलाई अहेसि तस्स य धूया सुजसिरी सा य अपरितुलियसयल-तिहुयण-नर-दारिगणा लावण्ण-कंति-दित्ति-स्व-सोहग्गाइसएणं अनोवमा अत्तमा तीए अन्नभयंतरम्मि इणमो हियएणं दुचिंतियं अहेसि जहा णं सोहणं हवेजा जइणं इमस्स बालगस्स माया वावजे तओ मज्झ असवक्कं भवे एसो य बालगो दुञ्जीविओ मवइ ताहे मन्झ सुयस्स य रायलच्छी परिणमेज त्ति तक्कम्म-दोसेणं तु जायमैताए चेव पंचत्तमुवगया जननी तओ गोयमा ते णं सुन्झसिवेणं महया किलेसेणं छंदमाराहामाणेणं यहूर्ण अहिणव-पसूय-जुवतीणं For Private And Personal Use Only

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