Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 135
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||८४ ||८|| || ७|| ||८८॥ १२६ मानिसीई-/-१४६३ (१४६३) आलोइय-निंदय-गरहिमओ विकय-पायच्छित्त-नीसल्लो उत्तम-ठाणम्मि ठिओ पुढवारंमं परिहरेजा (१४६४) आलोइय-निंदिय गरहिओ विकय-पायच्छित्त-नीसल्लो उत्तम-ठाणमि ठिओजोईए मा फुसायेजा ।।८५॥ (१४६५) आलोइय-निंदिय-गरहिओ विकय-पायछित्त संविग्गो उत्तम ठाणम्मि ठिओ मा चियावेज अत्ताणं (१४६६) आलोइय-निंदिय-गरहिओ विकय पायच्छित्तं संविग्गो छिन्नं पितणं हरियं असई मणगंमा फरिसे (१४६७) आलोइप-निंदिय-गरहिमो विकय पायच्छित्तं संविग्गो उत्तम ठाणम्मिठिओजावजीवं पिएतेसिं (१४६८) बेइंदिय-तेइंदिय-चउरो-पंचेदियाण जीवाणं संघट्टण परियावण-किलावणोद्दवण मा कासी ||८९|| (१४६९) आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त संविग्गो उत्तम ठाणम्मि ठिओसावजं मा भणिज्जासु ॥१०॥ (१४७०) आलोइय-निंदिय-गरहिओ विकय-पायच्छित संविग्गो लोयटेण विभूईगहिया गिहि उक्खिविउ ऽ दिन्ना (१४७१) आलोइय-निंदिय-गरहिओ विकय-पायच्छित संविग्गो जो इत्थिं संलवेजा गोयमा कस्य स सुन्निही (१४७२) आलोइय-निंदिय-गरहिओ विकय-पायच्छित्त नीसली चोद्दस-धम्मुवगरणं उड्ड मा परिग्गहं कुञा ॥९३॥ (१४७३) तेर्सि पि निम्ममत्तो अमुच्छिओ अगढिओ दढं हविया अह कुजा उ ममत्तं ता सुद्धी गोयमा नत्यि . (१४७४) किंबहुणा गोयमा एत्य दाऊण आलोयणं रयणीए आविए पाणं कत्थ गंतुंस सुझिही ॥९॥ (१४७५) आलोइय-निंदिय-गरहिओ वि कय-पायच्छित्त नीसल्लो छाइक्कमे न रक्खे जो कत्य सुद्धिं लभेज्न सो (१४७६) अप्पसत्ये पजे भावे परिणामे पदारुणे पाणाइयायस्स घेरमणे एस पढमे अइक्कमे (१४७७) तिव्व-रागा यजा भासा निडर-खर-फरुस-कक्कसा मुसावायस्स वेरसणे एस बीए अइक्कसे ॥९८॥ (१४७८) उपगहं अजाइता अचियतम्भि अवगाहे अदत्तादानस्स वेरमणे एस तइए अइकूकमे ॥९१॥ ॥१२॥ ९४|| ॥९६॥ ॥९७। ॥९९। For Private And Personal Use Only

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