Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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॥३५८॥
||३६०
३६२|
मानिसीहं -4-१९९७ (१२९७) नवरं न मोक्खो एयाणं मुसावायं च आवई
अन्नंच रागं दोसं मोहंच भयंछंदाणुवत्तिणं (१२९८) तित्थंकराण नो भूयं नो भवेजा उगोयमा मुसावायं न भासते गोयमा तित्यको
||३५९॥ (१२९९) जेणं तु केवलनाणेणं तेर्सि सव्यं पञ्चक्खं जगं
भूयं भव्वं भविस्सं च पुत्रं पावंतहेवय (१३००) जं किंचितिसुवि लोएसुतं सव्यं तेसिं पायर्ड पायालं अवि उड्ढ-मुहं सगं पज्जा अहोमुहं
॥३६॥ (१९०१) नूनं तित्थयर-मुह-मणियं वयणं होञ्जन अन्नहा
नाण-दंसण-चारित्तं तवं घोरं सुदुक्का (१३०२) सोग्गइ-मग्गो फुडो एस पलवंती जहडिओ अन्नहा न तित्ययरा वाया मणसाय कम्युणा
॥३६३।। (१३०३) माणेति जइ वि मुवणस्स पलयं हवइ तक्कणे
जं हियं सब-जग-जीव-पाण-भूयाण केवलं तं अनुतकंपाए तित्ययराधम भासिति अवितहं
॥३६॥ (१३०४) जेणं तु समणुचिण्णेणं-जोहाग-दुक्ख-दारिद्द-रोग-सोग-कुगइ-मयं न मवेजा अबिइएणं संतायुवेगंतहा
॥३५॥ (१३०५) भयवंनो एरिसं मणिमो-जह छंदं अनुवत्तयं नवरमेयं तु पुच्छामो जोजसके स तं करे
||३६६॥ (१३०६) गोयमा नेरिसंजुतं खणं मणसा विचिंतिउं
अह जइ एवं भवे नायं तावंधारेह अंचलं । (१३०७) घयऊरे खंडरवाए एक्को सक्केइ खाइउं
अन्नो माहु-मंस-मजाईअन्नो रमिऊण इथियं (१३०८) अण्णो एवं पिनो सक्के अण्णोजोएइपर-कयं
अण्णो चडवड-मुहे एसुअण्णो एवं पि माणिऊणं न सक्कुणोइ ।।३६९।। (१३०१) चोरियं जारियं अन्नो अन्नो किं चिन सकुणोइ
भोतुं मोत्तुं सुपत्थरिएसके विढे तुमंचगे (१५१०) मिच्छामि दुक्कडं भयंत एरिसंनो पणामिहं
गोयम अन्नं पिज भणसितंपितझकहेमहं (119) एत्य जम्मे नरो कोई कसिणुग्गं संजमंतवं
जइनो सक्कइ काउंजे तहवि सोग्गइ-पिवासिओ ॥३७२॥ (१३१३) नियमं पक्खि-खीरस्स एग-वाल-उपापडणं
रयहरणस्स एगियं दसियं एत्तियं तुपरिधारिलं ॥३७३॥ (१३१३) सकूकुणोइ एयं पिन जाव-जीवं पालेउता इमस्स वी गोयमा तुज्झ बुद्धीए सिद्धि-खेतस्स उप्पां
॥३७४|| (11) मंडवियाए भयेव्वंदुक्कर-कारिभणितुणं
नवरं एयारिसं पविया किमत्थं गोयमा पर्य
||३७॥
||३६८॥
||३७०॥
॥३७॥
॥३७५॥
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