Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
अक्षयणं ७ : पढमा चूलिया
www.kobatirth.org
(१४१८) निम्ममो निरहंकारो सरीरे अनंत-निष्पिहो महव्वयाई पालेमि निरइयाराइं निच्छिओ
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(१४११) हंडी हा अहष्णो हं पादो पाव-मती अहं पाविट्ठो पाव- कम्मी हं पावाहमायरो अहं (१४२०) कुसीलो भट्ट चारिती भिल्लसूणोवमो अहं
चिलातो निक्कियो पापी क्रूर-कम्मीह निग्धिणो (१४२१) इणमो दुल्लभं लभिउं सामण्णं नाणं- दंसणं
चारितं वा विराहेत्ता अनालोइय निंदिया गरहिय अकय-पच्छित्तो वावजुंतो जइ अहं (१४२२) ता निच्छयं अनुत्तारे घोरे संसार सागरे
निब्बुडो भय- कोडीहिं समुतरंतो न वा पुणो (१४२३ ) ता जा जरा न पीडेइ वाही जाव न केइ मे
जार्विदियाई-न हायंति ताव धम्मं चरेत्तुं हं (१४२४) निद्दहमइरेमं पावाई निंदिउं गरहिउं चिरं
पायच्छित्तं चरित्ताणं निक्कलंको भवामि हं (१४२५) निक्कलुस निक्कलंकाणं सुद्ध-भावाण गोयमा तं नो न जयं गहियं सुदूरामवि परिवलित्तणं (१४२६) एवमालोयणं दाउं पायच्छितं चरेत्तु णं
कलिकलुस-कम्म- मल-मुक्के जड़ नो सिज्झेख तक्खणं (१४२७) ता वए देव-लोगम्हि निघुज्जोए सयं पहे
देव-दुंदुहि निघोसे अच्छरा -सय-संकुले (१४२८) तओ चुवा इहागंतु सुकुतुप्पत्तिं लभेत्तु णं
निव्विण्ण काम भोगा य तवं काउं मया पुणो (१४२९) अनुत्तर -विमाणेसुं निवसिऊनेहमागया
हवंति धम्म- तित्ययरा सयल-तेलोकूक-बंधवा (१४३०) एस गोयम विण्णेए सुपसत्ये चउत्ये पए
भावालोयण नाम अक्खय-सिवसोक्ख-दायगो त्ति बेमि ( १४३१ ) से भयवं एरिसं पप्पा विसोहिं उत्तमं वरं
जे पमाया पुणो असई कत्थइ चुक्के खलेज वा (१४३२) तस्स किं तं विसोहि पयं सुविसुद्धं चैव लिक्खए याहुनी समुल्लिखे संसयमेयं वियागरे
For Private And Personal Use Only
॥४१॥
॥४२॥
॥ ४३ ॥
॥ ४४ ॥
॥४५॥
॥४६॥
॥४७॥
१४८॥
।। ४९ ।।
॥५०॥
॥५१॥
॥५२॥
॥५३॥
।।५४।।
119411
१२३

Page Navigation
1 ... 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154