Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पहानितीहं - 4/1१२६१
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(१२६७) अहो लावण्णं कंती दित्ती रूवं अनोवमं
जिणाणंजारिसं पाय-अंगुट्टागं न तंइहं (१२६२) सव्वेसुदेव-लोगेसुसब्ब देवाण मेलियं
कोडाकोडिगुणं काउंजइ वि उपहाणिनए (१२६३) अह जाअमर-परिग्गहिया नाण-त्तय-सपणिया
कला-कलाव-निलयाजण-मणानंदकारय (१२६४) सयण-बंधव-परियारा देव-दाणव-पूइया
पणइपण-पूरियासा भुवणुतम-सुहालया (१२६५) भोगिस्सरियं रायासिरि गोयमा तं तवञ्जियं
जा दियहा केइ भुंजंति ताव ओहीए जाणिउं (१२६६) खणभंगुरं अहो एवं लच्छी पाव-विवड्ढणी
ताजाणंता वि किं अम्हे चरित्तं नाणुचेडिमो (१२६७) जाव एरिस-मन-परिणामंताव लोगंतिया सुरा
धुणिउभणंति जग-जीव-हिययं तित्थं पट्टिही (१२६८) ताहे वोसट्ट-चत्त-देहा विहवं सव्व-जगतमं ।
गोयमा तणमिव परिचिच्चाजइंदाणं विदुल्लहं (१२६९) नीसंगा उग्गं कहूं घोरं अदुक्करं तवं
भुयणस्स वि उक्कट्ठ-समुप्पायं चरति ते (१२७०) जे पुण खरहर-फुट्टसिरे एग-जम्म सुहेसिमो
तेसिं दुल्ललियाणं पि सुटुं वि नो हियइच्छियं (१२७१) गोयमा महु-बिंदुस्सेय जावइयं तावइयं सुरं
मरणंते वीन संपजे कयरंदुललियत्तणं (१२७२) अहवा गोयमा पचक्खं पेच्छ य जारिसयं नरा
दुल्ललियं सुहमणुहवंति जंनिसुणेजा न कोइ वि (१२७३) केइ करिति मासेल्लिं हालिय-गोवालत्तणं
दासत्तं तह पेसत्तं गोडत्तं सिप्पे बहू (१२७४) ओलग्गं किसि वाणिझं पाणद्याय-किलेसियं
दालिद्दऽविहवत्तणं केइ कर्म काउंधराधार (१२७५) अत्ताणं वि गोउं दिणि-दिणिते यहिडिउं
नग्गुग्घाडे किलेसेणं जासमझंति परिहणं (१२७६) जर-जुण्ण-फुट-सयच्छिदं लडं का कह वि ओदणं
जा अज्ज कलिं कारिमोफता तम विपरिहरणं (१२७७) तहा वि गोयमा बुज्झ-फुड-वियड-परिफुडं
एतेसिचेव मज्झाओ अनंतरं मणियाण कस्स (१२७८) लोगं लोगाचारं चचेचा सयण-कियं तं च
भोगावमोगं दानं च मोत्तूणं कदसाणय
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