Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 112
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अवर्ण-६ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१२४३) जहा णं गोयमा एसा लक्खण देवसिया तहा सकलुस -चित्ते अगीयत्ये ऽणंते पत्ते दुहावली (१२४४) तम्हा एवं वियाणित्ता सव्य-मावेण सव्वहा गीत्येहिं भवेयव्यं कायष्वं तु सुविसुद्धं निम्पल - विमल - नीसलं निक्कलुषं मणं ति बेमि ( १२४५ ) पणयामरमरुय मउडुग्घुट्ट-चलण-सयवत्त-जयगुरु जगनाह धम्मतित्ययर भूय भविस्स वियाणग (१२४६) तवसा निट -कम्पस वम्पह यइर विद्यारण चउकसायनिट्ठवण सव्यजगजीववच्छल (१२४७) घोरंधयार -मिच्छत - तिमिस-तप- तिमिर नासण लोगालोग-पगासगर मोह- वइरिनिसुंमण ( १२४८) दुरुज्झिय-राग-दोस-मोह-मोस-सोग संत सोम सिवंकर अतुलिय बल विरिय माहप्पय तिहुयणेकूक महायस (१२४९) निरुवमरूय अनत्रसम सासयसुह-मुक्ख-दायग सब्बलक्खणसंपुत्र तिहुयणलच्छिविभूसिय ( १२५०) भयवं परिवाडीए सव्यं जं किंचि कीरई अथक्के हुंडि दुद्धेणं कथं तं कत्य लब्मइ (१२५१) सम्मदंसणमेगम्मि बितियं जम्मे अनुव्वए तइयं सामाइयं जम्मे चउत्ये पोसहं करे (१२५२) दुद्धरं पंचमे बंमं छठे सचित्त-वज्रणं एवं सत्तट्ठ- नव-दसमे जम्मे उद्दिट्टमाइयं (१२५३) चेक्कारसमे जम्मे समण - तुल- गुणो भवे एयाए परिवाडिए संजयं किं न अक्खसि (१२५४) जं पुणो सोऊण मइविगलो बालयणो केसरिस्स व सद्दं गय- जुव तसिउं नासे - दिसोदिसिं (१२५५) तं एरिस - संजमं नाह सुदुल्ललिया सुकुमालया सोऊणं पि नेच्छति तणुडीसुं कहं पुन (१२५६) गोयम तित्यंकरे मोतुं अन्नो दुल्ललिओ जगे जइ अत्थि कोइ ता भणउ अहणं सुकुमालओ (१२५७) जेणं गब्मट्ठाणम्मि देविंदो अमयं अंगुट्ठयं कथं आहारं देइ भत्तीए संथवं सययं करे (१२५८) देव - लोग- चुए संते कम्पासेणं जहिं धरे अभिजाहिंति तर्हि सवयं हीरण्ण-युट्ठी य वरिस्सइ (१२५९) गायत्राण तसे इति-रोगा य सत्तुणो अनुभावेण खयं जंति जाय- मेत्ताण तक्खणे (१२६०) आगंपियासणा चउरो देव-संघा महीधरे अभिसेयं सव्विड्ढीए काउं सा गया For Private And Personal Use Only ॥३०४ ॥ ||३०५ || ||३०६ ॥ ॥३०७॥ ॥ ३०८ ॥ ॥ ३०९ ॥ ||३१० ॥ ॥३११॥ ॥३१२॥ ३१३॥ |||३१४|| 1139411 ॥३१६॥ ॥३१७॥ ॥३१८|| ॥३१९॥ ॥३२०॥ ॥३२१॥ १०३

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