Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 128
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनवणं ७ : पठमा चूठिया चिट्ठे न उ णं चउव्विहस्सा वि समण संघस्स बज्झं तं गच्छं नो आयरेखा |१३| (१३९०) से भयवं जया णं से सीसे जहुत्त संजम-किरियाए पवनंति तहाविहे य केई कुगुरू तेसिं दिवख परूयेचा तया णं सीसा किं समगुडेजा गोयमा घोर-वीर-तव-संजमे से भयवं कह गोयमा अन्न गच्छे पविसित्ताणं से भयवं जया णं तस्स संतिएणं सिरिगारेणं विव्हिए समाणे अन्नगच्छेसुं पवेसमेव न लभेजा तया णं किं कुव्विज्जा गोयमा सव्य-पयारेहिं णं तं तस्स संतियं सिरियारं फुसावेजा से भयवं केणं पयारेणं तं तस्स संतियं सिरियारं सव्व-पयारेहि णं फुसियं हवेजा गोयमा अक्खरे से भयवं किं नामे ते अक्खरे गोयमा जहा णं अप्पडिग्गाही कालकालंतरेसुं पि अहं इमस्स सीसाणं वा सीसिणी गाणं वा से भयवं जया णं एवंविहे अक्खरे न प्पयादी गोयमा जया णं एवंविहे अक्खरे न प्पयादी तया णं आसन्न -पावयणीणं पकहित्ताणं चउत्यादीहिं समक्कमित्ताणं अक्खरे दावेजा से भयवं जया णं एएणं पयारेणं से णं कुगुरु अक्खरे न पदेखा तया णं किं कुञ्जा गोयमा जया णं एएणं पयारे से णं कुगुरू अक्खरे न पदेज्जा तया णं संघ -खज्झे उवइसेज्जा से भयदं केणं अद्वेणं एवं दुइ गोयमा सुदुप्पयहे इणमो महा-मोह-पासे गेह-पासे तमेव विप्पहित्ताणं अनेग सारीरग-मणो समुत्थ-चउ- गइ संसार- दुक्ख-भय-भीए-कह-कहादी- मोह-मिच्छत्तादीणं खओवसमेणं सम्मागं समोवलभित्ताणं निच्चित्र-काम-मोगे निरणुबंधे पुत्रमहिजे तं च तव-संजमानुट्ठाणेणं तस्सेव तव -संजम किरियाए जाव णं गुरू सयमेव विग्धं पयरे अहा णं परेहिं कारवे कीरमाणे वा समवेक्खे सपक्खेण वा परपक्खेणं वा ताव णं तस्स महाणुभागस्स साहुणो संतियं विद्यमाणमवि धम्म- चीरियं पणस्से जाव णं धम्म-वीरियं पणस्से ताद णं जे पुत्र मागे आसण्ण-पुरक्खडे चेव सो पणस्से जइ णं नो समण लिंगं विष्पजहे ताहे जे एवं गुनववेए से णं तं गच्छमुज्झिय अन्न गच्छं समुपयाइ ततवि जाव णं संपवेसं न लभे ताव णं कयाइ उ न अविहीए पाणे पयहेज्जा कयाइ उन मिच्छत्तभावं गच्छिय पर-पाखंडं आसएसा कयाइ उ न दाराइसंगहं काऊणं अगार - वासे पविसेज्जा अहाणं से ताहे महातवस्ती भवेत्ताणं पुणो अतवस्ती होणं पर-कम्मकरे हवेला जाव णं एयाई न हवंति ताव णं एतेणं वुढि गच्छे मिच्छततमे जाव णं मिच्छत्त-समंधी कए- बहुजण-निवहे दुक्खेणं समजा दोग्गड़-निवारए सोक्ख-परंपरकारए अहिंसा लक्खणसमण-धन्मे जाव णं एयाइं भवंति ताव णं तित्यस्सेव योच्छिती ताव णं सुदूर-ववहिए परम-पए जाव णं सुदूर-पवहिए परम-पए ताब णं अश्चंत सुदुक्खिए चैव भव्वसत्तसंघाए पुणो चउगईए संसरेजा एएणं अद्वेणं एवं युवइ गोयमा जहा णं जेणं एएणेव पयारेणं कुगुरु अक्खरे नो पएजा से णं संघ-बज्ने उवइसे जा 1१४ | (१३९१) से भयवं केवतिएणं कालेणं इहे कुगुरू भवीहंति गोयमा इओ य अद्ध-तेरसहं वास सयाणं साइरेगाणं समइक्कंताणं परओ मवीसुं से भयवं के णं अद्वेणं गोयम तक्कालं इड्डिरस-साथ गारव संगए ममीकार- अहंकारग्गीए अंती संपजलंत बोंदी अहमहं ति कय- माणसे अमुणिय- समय-समावे गणी भवीसुं एएणं अद्वेणं से मयवं किं सव्वे ची एवंविहे तक्कालं गणी भवसुं गोयमा एगणं नो सव्वे के ई पुण दुरंत-पंत-लक्खणे अदट्ठव्वे णं एगाए जणणीए जमगसमगं पसूए निम्मे पाव-सीले दुजाय- जम्मे सुरोद्द-पदंडाभिग्गहिय-दूर-महामिच्छदिट्ठी मर्विसु से भयवं कहं ते समुदलक्खेना गोयमा उस्त्तुम्भग्ग-वत्तणुद्दिसण- अनुमइ-पच्चएण । १५ ( १३९२ ) से भयवं जे णं गणी किंचि आवस्सगं पमाएजा गोयमा जे णं गणी अकारणिगे For Private And Personal Use Only ११९

Loading...

Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154