Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 109
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महानिसीई - 11९० ॥२५॥ २५२॥ १२५३॥ 11२५४॥ ||२५५॥ ॥२५६॥ ॥२५७|| |१२५८|| ||२५९॥ (१९९०) छठ्ठ-ट्ठम-दसम-दुवालसेहिं लयाहिं नेइ दस परिसे अकयमकारियमसंकपिएहिं परिभूयभिक्ख लद्धेहिं (११९१) चणगेहिं दुन्नि वे भुञ्जिएहि सोलसय मासखमणेहिं वीसं आयामायंबिलेहिं आवस्सगं अछड़ेंती (११९२) चरई य अदीनमणसा अहसा पच्छित्त-निमित्तं ताहे गोयम सा चिंते-जंपच्छितंतयं कयं (११९३) ताकिं तमेवन कयं मे जमणसा अज्झवसियं तया इयरहे वि उपच्छितं इयरहे व उ मे कयं (११९४) ता किंतंन समायरियं चितेंती निहणं गया उग्गं कहूं तवं घोरंदुक्करं पि चरित्तु सा (११९५) सच्छंद-पायच्छित्तेणं सकलुस-परिणाम-दोसओ कुच्छिय कम्मा समुप्पना वेसाए पडिचेडिया (१९९६) खंडोहा-नाम चडुगारी मज्ज-खडहडग-याहिया विणीया सब्ब-वेसाणं घेरीएयघउग्गुणं (११९७) लावण कंति कालिया विबोडाजाया तहा विसा अन्नया थेरी चिंतेइ मज्झं बोडाए जारिसं (११९८) लावणं कंती-रूदं नत्यि भुवणे वि तारिसं ता विरंगामि एईए कपणे नक्कं सहोद्वयं (११९९) एसा उन जाव विउप्पले मम धूयं को विनेच्छिही अहवा हा हा न जुत्तमिणंधूया तुल्लेसा वि मे नदरं (१२००) नदरंसुविणीया एसा विउप्पनत्य गछिही ता तह करेमिजहा एसा देसंतरं गया विय (१९०१) न लमेजा कत्थइ थामं आगच्छइ पडिल्लिया देवेमि से वसी करणं गुज्झ-जेसं तु साडिमो (१२०२) निगडाइंच से देमि पमडउं तहिं नियंतिया एवं साजुण्ण-वेसमा मणसा परितपिउं सुवे (१२०३) ताखंडोहा सिमिणम्मि गुन्झंसाडिअंतगं पेच्छइ नियडे य दिजंते कण्णे नासं च बटियं (१२०४) सा सिमिणत्यं वियारेउं नवाजह कोइ न याणइं कह कह विपरिममंतीसा गाम-पुर-नगर-पट्टणे (१२०५) छम्मासेणं तुसंपत्ता संखडं नाम खेडगं तत्य वेसमण-सरिस-विहवरंडा-पुत्तस्स सा जुया (१२०६) परिणीया महिला ताहे मच्छरेण पञ्जले ददं रोसेण फुरफुरंती साजा दियहे केइ चिट्ठइ (१२०७) निसाए निब्परं सइयं खंडोट्ठी तावपेच्छा तंदटुंधाइया चुल्लिं दित्तं धेत्तुंसमागया ॥३६०11 ॥२६॥ ॥२२॥ ॥२६३|| ॥२४॥ ॥२६॥ ॥२६॥ ॥२६७|| ॥२८॥ For Private And Personal Use Only

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