Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 107
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महानिसीई - 11-199५४ ॥२१५॥ २१६॥ ||२१७॥ २१८॥ ||२१९॥ ॥२२०॥ २२१॥ ||२२२॥ (११५४) जाय साजोवणं पत्ता ताय मुक्का सयंवरा परिपंतीए वरंपवा नयणानंद-कलाऽऽलयं (११५५) परिणिय मेत्तोमओ सो वि मत्ता सा मोहं गया पयलंतंसु नयणेणं परियणेण य वारिया (११५६) तालियंट-वाएणं दुखेणं आसासिया ताहे हा हाऽऽकंदं करेऊणं हिययं सीसंच पिडिखें अत्ताणं चोट-फेटाहिं पट्टिदस-दिसासु सा (११५७) तुहिक्का बंधुवागस वयणेहिं तु स-सज्झसं ठियाऽह कइवय-दिनेसं अण्णया तित्थंकरो (11५८) बोहितो भव्य-कमल-वणे केवल नाण-दिवायरो विहरतो आगओतत्य उमाणम्मि समोसढो (११५९) तस्स बंदण-मत्तीए संतेउर-बल-थाहणे सब्बिड्डीए गओ राया धम्मं सोऊण पव्वइओ (११६०) तहिं संतेउर-सुय-धूओ सुह-परिणामो अमुच्छिओ उग्गं कहूं तवं घोरं दुक्करं अनुचिट्ठई (१९६१) अण्णया गणि-जोगेहिं सब्बे वि ते पवेसिया असज्झाइल्लियं काउं लक्खणदेवीन पेसिया (११६२) सा एगते वि चिटुंती कीडते परिवरूलए दवणेयं विचिंतेइ सहलमेयाण जीवियं (११६३) जेणं पेच्छ चिड़यस्स संघटुंती चिट्ठलिया समं पिययमंगेसुनिव्वुई परमजणे (११६४) अहो तित्यंकरेणम्हं किमटुं चक्खु-दरिसणं परिसित्थी रमंताणंसव्वहा विनिवारियं (१९१५) तानिदुक्खो सो अग्नेसिं सुह-दुक्खं न याणई अग्गी दहण-सहाओ वि दिद्वी दिडोन निहुहे (११६६) अहवान हि नहि भयवं आणावितं न अत्रहा जदेण मे दखूण कीडति पक्खी पक्खुभियं मनं (११९७) जाया परिसाहिलासा मे जाणं सेवामि मेहणं जंसिविणे वि नकायव्यं तं मे अझ विचिंतिय (११५८) तहा य एत्व जम्मम्मि पुरिसो ताव मणेण वि नेछिओ एत्तियं कालं सिविणंते वि कहिँचिवि (११६१) ताहाहादुरायारापाव-सीला अहणिया अट्टमट्टाई चिंतंती तितअथयर मासाइमो (११७०) तित्ययरेणावि अचंतं कट्टुकडयडं वयं अइदुद्धरंसमादिहें उग्गं घोरं सुदुक्करं (910) ता तिविहेण को सक्को एवं अनुपालेऊणं वाया-कम्मंसमायरणे बेरक्खं नो तइयं मनं ||२२३॥ ||२२४॥ IR२५॥ २२६॥ 1॥२२७॥ ।।२२८॥ ३२९॥ |२३०॥ २३१॥ ॥२३॥ For Private And Personal Use Only

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