Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 106
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजायणं १७ 1॥२०॥ एरिस-समायारं पवत्तेइ ति चिंतिऊणं अमुगं अमुगं चुण्णजगं समुद्दिसमाणाए पक्खितं असणमझिमि ते देवयाए तं च तेणोवलक्खिउं सक्कियं ति देवयाए चरियं एएण कारणेणं ते सरीरं विहडियं ति न उणं फासुदग-परिभोगेणं ति ताहे गोयमा रझाए वि मावियं जहा एवमेयं न अण्णह त्ति चिंतिऊण विष्णविओ केवली जहा भयवं जइ अहं जहुत्तं पायच्छित्तं चरामि ता किं पनप्पइ मझं एयं तणुं तओ केवलिणा मणियं जहा-जइ कोइ पायच्छित्तं पपच्छइ ता पनप्पइरजाए मणियं जहा भयवंजइ तुमंचिय पायच्छितं पयच्छसि अत्रो को एरिसपहप्पा तओ केयलिणा मणियंजहादुक्करकारिए पयच्छामि अहं ते पच्छिन्तं नवरं पच्छित्तं एव नत्थि जेणं ते सुद्धी भवेशा रजाए मणिय भययं किं कारणं ति केयलिणा मणियं जहा जं ते संजइ-चंद-पुरओ गिराइयं जहा मम फासुग-पानपरिभोगेण सरीरगं बिहडियं ति एय च दुट्ट-पाव-महा-समुद्दाएक्क-पिंडं तुह वयणं सोया संयुद्धाओ सव्याओ घेव इमाओ संजइओ चिंतियं च एयाहिं जहा-निच्छओ विमुनामो फासुओदगं तय झवसायस्स आलोइयं निंदियं गरहियं विरस-दारुणं बद्ध-पुढ निकाइयं तुगं पावरासिं तं च तए कुट्ठ-भगंदर-जलोदर-वाय-गुम्म-मास-निरोह-हरिसा गंडमालाइ-अणेग-वाहि यणा-परिगय-सरीराए दारिद्द-दुक्ख-दोहाग-अयस-अब्मखाणं-संताव-उब्वेग-संदीविय-पज्जसियाए अनंतेहिं भव-गहणेहिं सुदीह-कालेणं तु अहत्रिसाणुभवेयव्वं एएण कारणेणं एस इमा गोयमा सा रजञ्जिया जाए अगीयत्यत्त-दोसणं वायामेत्तेणं एव एमहंतं दुक्खदायगं पाव-कम्म समज्जियंति।। () अगीयत्य दोसेण माव सुद्धिन पावए विणा भावविसुद्धीए सकलुस-मणसो मुणी मवे (११४५) अनु-थेव-कलुस-हिययत्तं अगीयत्यत्तदोसओ काऊणं लक्खणजाए पत्ता दुक्ख-परंपरा (११४६) तम्हातं नाउ बुद्धेहिं सव्य-भावेण सव्यहा गीयत्येहिं भवित्ताणं कायव्वं निक्कलुसं मनं કેર૦૮ના (११४७) भयवं नाहं वियाणामि लक्खणदेवी हुअज्जिया जा अनुकलुसमगीयत्यत्ताकाउंपत्ता दुक्ख-परंपरं (११४८) गोयमा पंचसु मरहेसु एरवएसुउस्सप्पिणी अवसप्पिणीए एगेगा सव्वयालं चउवीसिया ॥२१०-१॥ (११४१) सययमवोच्छित्तिए भूया तह य भविस्सती अणाइ-निरुणा एत्य एसाधुव एत्य जग-हिई ॥२१॥ (१९५०) अतीय-काले असीइमा तहियं जारिसगे अहयं सत्त-रपणी-पमाणेणं देव-दानव-पणमिओ ।।२११॥ (१५७) चरिमो तित्ययरोजइया तया जंबूदाडिमोराया भारिया तस्स सिरिया नाम बहु-सुया (११५२) अन्नया सह दइएणं धूयत्यं बहू उवाइए करे देवाणं कुल-देवीए चंदाइध-गहाण य . (११५५) कालक्कमेमअइजायाधूया कुवलय लोयणा तीए तेहिं कयं नाम लक्षणदेवी अहऽण्णया Troll २०७|| ॥२०९॥ ।।२१२॥ २१३॥ २१४॥ For Private And Personal Use Only

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