Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 82
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अणं-५ समाज से णं तं कम्मं जया उदिण्णं भवेञ्जा तया जहा उच्छु- खंडाई जंते तहा निप्पी लिजमाणा छम्मासेणं खवेज्जा एवं गाढे दुवालसेर्हि संवच्छरेहिं तं कम्मं वेदेजा एवं अगाढपरियावणे वाससहस्सं गाढ- परियावणे दस-वास- सहस्से एवं अगाढ - किलावणे वास-लक्खं गाढ - किलावणे दसबास-लक्खाई उद्दवणे बास-कोडी एवं तेइंदियाईसुं पि नेयं ता एवं च विद्याणमाणा मा तुम्हे मुज्झह त्ति एवं च गोयमा सुत्तानुसारेणं सारयंतस्सावि तस्सायरियस्स ते महा-पावकम्मे गम-गमहल्लम्फलेणं हल्लोल्लीभूएणं तं आयरियाणं वयणं असेस पाव-कम्मट्ठ- दुक्ख-विमोयगं न बहु मति ताहे गोयमा मुणियं तेणायरिएणं जहा निच्छ्यओ उम्मग्गपट्ठिए सच्चपगारेहिं चेव इमे पावमई दुट्ठ-सीसे ता किमट्टमहमिमेसिं पट्ठीए लल्ली-वागरणं करेमाणो अनुगच्छमाणो य सुक्खाए गय- जलाए नदीए उबुज्झं एए गच्छंतु दस- दुवारेहिं अहयं तु तावाय हियमेवाणुचिट्टेमो किं मज्झं पर-कएणं सुमहंतेणावि पुत्र-पधारेणं थेचमवि किंचि परित्ताणं भवेजा स परक्कमेणं चैव मे आगमुत्त-तव-संजमाणु-हाणेणं भवोयही तरेयव्वो एस उणं तित्ययराएसो [जहा)- 199-91 (८१७) अप्पहियं कासव्वं जई सक्का परहियं पि पयरेना अत-हिय-पर-हियाण अत्त-हियं चैव कायव्वं ७३ ॥१२२॥ (८१८) अन्नं च - जइ एते तब-संजम-किरियं अनुपालेहिंति तओ एतेसिं चेव सेयं होहिइ जइ न करेहिंति तओ एएर्सि चेव दुग्गइ-गमणमनुत्तरं हवेज्जा नवरं तहा वि मम गच्छो समम्पिओ गच्छाहिवई अहयं भणामि अन्नं च जे तित्थयरेहिं भगवंतेहिं छत्तीसं आयरियगुणे समाइट्ठे तेर्सि तु अहयं एक्कमवि नाइक्कमामि जइ वि पाणोवरमं भवेज्जा जं च आगमे इह-परलोग-विरुद्धं तं नायरामि न कारयामि न कज्ज्रमाणं समणुजाणामि तामेरिसगुण जुत्तस्सावि जइ भणियं न करेंति तामिमेसिं वेसग्गहणा उद्दातेमि एवं च समए पन्नत्ती जहाजे केई साहू वा साहूणी वा बायायेत्तेमा वि असंजममणुचिजा से णं सारेखा से णं वारेजा से णं चोएज्जा पडिचोएजा से णं सारिअंते या वारिते वा चोइते वा पडिचोइजंते वा जे णं तं वयणमवमण्णिय अलसायमाणे इ या अभिनिविट्टे इ वा न तह त्ति पडिवज्जिय इच्छं पउंजित्ताणं तत्थामो पडिक्कमेजा से णं तस्स वेसग्गहणं उद्दालेखा एवं तु आगमुत्तणाएणं गोयमा जाय तेणायरिएणं एगस्स सेहस्स वेसग्गहणं उद्दालियं ताव णं अवसेसे दिसोदिसिं पणट्टे ताहे गोयमा सो आयरिओ सणियं सणियं तेसिं पट्ठीए जाउमारद्धो नी णं तुरियं तुरियं से भयवं किमहं तुरियं-नो पयाइ गोयमा खाराए भूमीए जो महुरं संकजा महुराए खारं किन्हाए पीयं पीयाओ किण्हं जलाओ थलं चलाओ जलं संकमेज्जा तेणं विहिए पाए पमजिय पमजिय संकमेयव्वं नो पमज्जेज्जा तओ दुवालस-संवच्छरियं पच्छितं भवेजा एएणमणं गोयमा सो आयरिओ न तुरियं तुरियं गच्छे अहण्णया सुया- उत्त-विहिए पंडिलसंकमणं करेमाणस्स णं गोयमा तस्साचरिस्स आगओ बहु-बासर खुहा- परिगय- सरीरो विवडदाढाकराल - कयत भासुरो पलय कालमिव - घोररूवो केसरी मुणियं च तेण महाणुभागेणं गच्छाहिवइणा जहा- जइ दुयं गच्छिज्जइ ता चुक्किज्जइ इमस्स नवरं दुयं गच्छमाणाणं असंजयं ता वरं सरीरोवोच्छेयं न असंजम-पवत्तणं ति चिंतिऊणं विहिए उवडियस्स सेहस्स जमुद्दालियं वेसग्गहणं तं दाऊणं ठिओ निप्पडिकम्मं पायवोवगमणाणसणेणं सो वि सेहो तहेव अहष्णया अञ्चंत - विसुद्धंत करणे पंचमंगलपरे सुहज्झवसायत्ताए दुवे वि गोयमा वावईए तेण सीहेणं अंतगडे केवली जाए अट्टप्पयार-मल-कलंक -विप्यमुक्के सिद्धे य ते पुण गोयमा एकूणे पंच सए साहूणं तक्कम्म For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154