Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(९०६) अहवा तित्ययरेणेस किम वाइओ विही जेणेयं अहीयमाणोऽहं पायच्छित्तस्स मेलिओ (९०७) सो चिय जाणेज्जा सव्वन्नू पच्छित्तं अनुचरामहं जमेत्यं दुट्टु चिंतिययं तस्स मिच्छामि दुक्कडं (१०८) एवं तं कट्टं घोरं पायच्छित्तं सयं-मती
काऊ पि ससल्लो सो वाणमंतरायं गओ (९०९) हेट्ठियोवरिम वेय-विभाणे तेण गोयमा वयंतो आलोएत्ता जइ तं पच्छित्तं कुब्विया (१०००) याणमंतर - देवत्ता चइऊणं गोपमासडो
रासहत्ताए तेरिच्छेसुं नरिंद-घरमागओ (१००१) निचं तत्थ वडवाणं संघट्टण- दोसा तर्हि
यस चाही समुप्पन्ना किमी एत्य समुच्छिए (१००२) तओ किमिएहिं खजंतो वसण-देसम्म गोयमा मुक्काहारी खिरं लेढे वियणत्ती ताव साहुणो (१००३) अदूरेण पवोलिंते दवणं जाई सरेत्तु य
निंदिउं गरहिउं आया अणसणं पडिबजिया (१००४) काग-साणेहि खांतो सुद्ध-भावेण गोयमा अरहंताण ति सरमाणो सम्मं उज्झियं तनूं (१००५) कालं काऊण देविंद-महाघोस समाणिओ जाओ तं दिव्यं इडिंट समणुभोत्तुं तओ चुओ (१००६) उवयण्णो वेसत्ताए जा सा नियडी न पयडिया
तओ वि मरिऊणं बहू अंत-पंत-कुलेऽडिओ (१००७) कालकूकमेण महुराए सिवईदस्स दियाइणो सुओ होऊण पडिबुद्धो सामन्नं काउं निब्बुडो (१००८) एयं तं गोयमा सिद्धं नियडी-पुंजं तु आसडं जे यस सव्वन्नु-मुह भणिए वयणे मणसा विडंबिए (१००९) कोऊहलेण विसयाणं न उणं विसएहिं पीडिओ सच अछंद- पायच्छित्तेण भमियं भय-परंपरं (१०१०) एवं नाऊणमेक्कं पि सिद्धंतिगमालावगं
जामाणे हु उम्मग्गं कुञ्जा जे से वियाणिही (१०११) जो पुण सव्व - सुयन्नाणं अटुं वा वयं पिबा
नचा एज्जा मग्गेणं तस्स अही न वज्झती एवं नाऊण मणसा वि उम्मग्गं नो पवत्तए -त्ति बेमी (१०१२) भयदं अकिच्चं काऊणं पच्छित्तं जो करेश या तस्स लट्ठरं पुरओ जं अकिच्चं न कुव्वए (१०१३) ता ऽजुत्तं गोयममिणमो वयणं मणसा वि धारिउं जहा कामकत्तव्यं पचिछत्तेणं तु सुज्झिहं
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मानिसीहं - ६/-/ ९०६
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