Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
९२
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(१०६९) गीयत्थो य विहारो बीओ गीयत्यो-मीसओ समण्णाओ सुसाहूणं नत्थि तइयं वियम्पणं (१०७०) गीयत्ये जे सुसंविग्गे अणालसी दढव्यएए अखलिय चारिते सययं राग-दोस - वियजिए (१०७१ ) निड्डविय अट्टमय-द्वाणे समिय-कसाए जिइंदिए विहरेज्जा तेसि सद्धिं तु ते छउमत्थे वि केवली (१०७२ ) सुहुमस्स पुढषि - जीयस्स जत्येगस्स किलामणा अप्पारंभं तयं बेति गोयमा सव्य-केवली (१००३) सुहुमस्स पुढवि-जीवस्स वावत्ती जत्य संभवे महारंमं तयं बेति गोयमा सव्वै वि केवली (१०७४) पुढवि-काइय एक्कं दरमलेंतस्स गोयभा
असाय- कम्प-बंधो हुदुव्विमोक्खे ससल्लिए (१०७५) एवं च आऊ- तेऊ - बाऊ-तह वणस्सती
तसकाय- मेहुणे तह य चिक्कणं चिणइ पावगं (१०७६) तम्हा मेहुण संकष्पं पुढवादीण विराहणं
जावज्जीवं दुरंत फलं तिविहं तिविहेण वज्रए (१०७७) ता जे अविदिय-परमत्थे गोयमा नो य जे मुणे तुम्हा ते विवादोई-पंथ-दायगे (१०७८) गीयत्यस्स उ वयणेणं विसं हलाहलं पिया
निव्विकप्पो पभक्खेज्जा तक्खणा जं समुद्दवे (१०७९) परमत्यओ विसं तोसं अमयरसायणं खुतं
निव्विकप्पं न संसारे मओ वि सो अमयस्समो (१०८०) अगियत्यस्स वयगेणं अमयं पिन घोट्टए
जेण अपरामरे हथिया जह किलाणो भरिजिया ( १०८१ ) परमत्यओ न तं अमयं विसं तं हलाहलं
न तेण अयरामरो होज्जा तक्खणा निणं वए ( १०८२) अगीयत्थ-कुसीलेहिं संगं तिविहेण वज्रए 'मोक्ख-मस्सिमे विग्धे पहम्मी तेणगे जहा (१०८३) पद्धत्तियं हुयवहं दद्धुं नीसको तत्थ पविसिंउं अत्ताणं पि इज्जासिनो कुसीलं समल्लिए (१०८४) वास लक्खं पि सूलीए संभित्रो अच्छिया सुहं अगीयत्येण समं एक्कं खणद्धं पि न सबसे (१०८५) विणा वि तंत- मंतेहिं घोर-दिडीविसं अहिं संतं पि समल्लीया नागीयत्थं कुसीलाहमं
( १०८६) विसं खाए हालाहलं तं किर मारेइ तक्खाणं न करेगीयत्य-संसगिंग विढये लक्छ्रं पि जइ तहिं
For Private And Personal Use Only
महानिसीहं ६/-/१०६९
-
1193311
॥१३४॥
।।१३५।।
॥१३६॥
॥१३७॥
।। १३८ ॥
॥१३९॥
॥ १४० ॥
॥१४१॥
॥१४२॥
॥१४३॥
1198811
1198411
।। १४६ ।।
।।१४७।।
।। १४८ ||
1198811
।।१५०॥

Page Navigation
1 ... 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154