Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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१०
महानिसीई-६/-19०३२
IR६॥
॥१७॥
१९८॥
॥२९॥
॥१०॥
||१०१॥
॥१०२॥
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||१०४॥
(१०३२) गोयमा जं सुसीलाणं समणाणंदसण्हं उ
खलियागय-पच्छित्तं संजइ तं नयगुणं (१०३३) एक्का पावेइ पच्छित्तंजइ सुसीला दढ-व्वया
अह सीलं विराहेजा ता तं हवइ सयगुणं (१०३४) तीए पंचिंदिया जीया जोणी-मज्झ-निवासियो
सामण्णं नव लक्खाइंसव्वे पासंति केवली (१०३५) केवल-नाणस्स ते गम्मा नोऽकेवली ताई पालती
ओहीनाणी वियाणेए नो पासे मणपज्जवी (१०१६) ते पुरिसं संघटुंती कोल्हुगम्मितिले जहा
सव्वे मुप्मुरावेइ रत्तुप्पत्ता अहनिया (१०३७) चक्कमंतीय गाढाईकाइयं वोसिरंतिया
वावइला उदो तिष्णि सेसाई परियावई (१०३८) पायच्छितस्स ठाणाईसंखाइयाई गोयमा
अनालोयंतो हु एक्कं पिससल्लमरणं मरे (१०३१) सयसहस्स नारीणं पोमु फालेत्तु निघिणो
सत्तट्ठमासिए गचडफडते निगिंतड (१०४०) जं तस्स जेत्तियं पावं तेत्तियं तं नवं गुणं
एक्कसित्थी पसंगणं साहू बंधिज्ञ मेहुणा {१०४१) साहुणीए सहस्सगुणं मेहुणेकसि सेविए
कोडिगुणं तु बिइज्जेणं तइए बोही पनस्सई (१०४२) एयं नाऊणजो साहू इत्थियं रामेहिई
बोहिलामा परिभवो कहं वराओ सोहिइ (१०४३) अबोहिलाभियं कम्मं संजओ अह संजई
मेहुणे सेविए आऊ-तेउक्काए पबंधई (१०४४) जम्हा तीसुवि एएसु अवरझंतोहुगोयपा
उप्पागमेव वद्धारे मागं निट्ठवइ सव्वहा (१०४५) ते सरीरं सहत्थेणं छिंदिऊणं तिलं तिलं
अग्गिए जइ विहोमंति तो विसुद्धीनदीसइ (१०७) तारिसो विनियित्तिं सो परदारस्स जई करे
सायग-धम्मं च पालेइ गइ पावेइ मज्झिमं (१०४८) मययं सदार-संतोसे जइभवे मज्झिमं गई
ता सरीरे वि होमंतो कीस सुद्धिं न पावई (१०४९) सदारं परदारं वा इत्थी पुरीसोव्व गोयमा
रमंतो बंधए पावं नो णं पवइ अबंधगो (१०५०) सावग-धम्मजहुतंजो पाले पर-दारं चए
जावजीवं तिविहेणं तमणुभावेण सा गई
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