Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 100
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandin ॥१५॥ ॥११॥ ॥११७॥ ॥११८॥ ११९॥ ||१२०॥ 1१२१॥ ॥१२२॥ अनापर्ष(१०५१) नवरं नियम-विहूणस्स परदार-गमणस्सउ अनियत्तस्स भवे बंधं निवत्तिए महाफले (१०५२) सुघेवाणं पि निवित्तिं जो मनसा विय विराइए सोमओदोग्गइंगळे मेघमाला जहजिया (१०५३) मेघमालज्जियं नाहं जाणिमो भुवण-बंधवा __ मनसावि अनुनिवित्तिं जा खंडियंदोग्गइं गया (१०५४) वासुपुञ्जस्स तित्यम्मि मोला कालगच्छवी मेघमालज्जिया आसि गोयमा मन-दुब्बला (१०५५) सा नियममागास-पक्खंदा काउंभिक्खाए निग्गया ___ अन्नओ नत्यि नीसारं मंदिरोवरि संठिया (१०५६) आसन्नं मंदिरं अन्नं लंधित्ता गंतुमिच्छुगा मणसाभिनंदेवंजा ताव पल्ललिया दुवे (१०५७) नियम-भंगं तय सहमतीए तत्थ न निंदियं तंनियम-मंग-दोसेणंडज्झेत्ता पढमियं गया (१०५८) एयं नाउं सुहमं पिनियमं मा विराहिह जे छिना अक्खयं सोक्खं अनंतं च अनोवमं (१०५९) तव-संजमे वएसुंच नियमो दंड-नायगो तमेव खंडेमाणस्स न वए नो व संजमे । (१०६०) आजम्मेणं तुजंपावं बंधेजा मच्छबंधगो दय-भंग-काउमाणस्सतं चैवठ्ठगुणं मुणे (१०६१) सय-सहस्स-स-लद्धीए जोवसामित्तु निक्खमे वयं नियममखंडेंतो जंसो तं पुन्नमज्जिने (१०६२) पवित्ताय निवित्ताय गारथी संजमे तवे जमणुष्टिया तयं लामंजाव दिक्खान गिण्डिया (१०६३) साहु-साहुणी-वग्गेणं विण्णायव्वमिह गोयमा जेसिंमोत्तूण ऊसासनीसासं नानुजाणियं (१०६४) तमविजयणाए अनुण्णायं विजयणाएनसव्वहा अजयणाए ऊससंतस्स कओधम्मो कओ तयो (१०६५) भयवं जावइयं दिटुं तावइयंकहणुपालिया जे भवे अवीय-परमत्ये किच्चाकिश्चमयाणगे (१०५६) एगंतेण हियं वयणं गोयमा दिस्संती केवली नो बलमोडीए कारेंति हत्ये धेतूण जंतुणो (१०६७) तित्थयर-मासिए वयणेजे तह त्तिअनुपालिया सिंदा देव-गणा तस्स पाए पणमंति हरिसिया (१०६८) जे अविइय परमत्ये किवाकिच्चमजाणगे अंधो अंधी एतेसिसमं जल-यलं गड-टिक्कुरं ॥१२३॥ ॥१२४॥ ॥१२५॥ ॥१२६॥ ||१२७॥ ॥१२८॥ १२९॥ ॥१३०|| ।।१३१॥ ॥३२॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154