Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 96
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥४२॥ ॥४३॥ ॥४५॥ liral ७|| I४८| ।।४।। अमायणं-६ (८८८) ताहे विस-भक्खणं पडणं अनसनं तेण इच्छियं एयं पिचारण-समणेहिं वे वाराजाव सेहिओ (८८९) ताव य गुरुस्स रयहरणं अप्पियाणं देसंतरंगओ एते ते गोयमोवाए सुय-निबद्धे वियाणिए (८९०) जाव गुरुणो न रपहरणं पव्वा य न अल्लिया तावाकझं न काय लिंगमवि जिन-देसियं (८९१) अन्नस्थ न उझियव्वं गुरुणो मोत्तूण अंजलि जइ सो उवसासिउसको गुरूता उवसासइ (८९२) अ अन्नो उपसासिउंसकूको तो वितस्स कहिलइ गुरुणा वियतन अन्नस्स गिरावेयव्यंकयाइ वि (८९३) जो भविया वीइय परमत्यो जग-द्विय-वियाणगो एयाइंतुपयाईजो गोयमाणं विडंबए (८९४) माया-पयंच दंभेणं सो ममिही आसडोजहा मयवं न याणिमो को यि माया सीलो हुय आसडो किंवा निमितमुवयरिउंसो ममे बहु-दुहडिओ चरिमस्सग्णस्स तित्ययम्पिगोयमा कंचण-च्छवी (८९६) आयिओ आसि पूइक्खो तस्स सीसोस आसडो पहव्ययाईघेत्तूणं अह सुत्तत्य अहिझिया {८९७) ताव कोऊहलं जायं नोणं विसएहिं पीडिओ चिंतेइय जह सिद्धंते एरिसो दंसिओ विही (८९८) ता तस्स पमाणेणं गुरुयणं रजिउंदद तवं चऽवगुणं काउंपडणाणसरणं विसं १८९९) करेहामि जहाऽहं पी देवयाए निवारिओ दीहाऊ नस्थिते मधू भोगे भुंज जहिच्छिए (१००) लिंग गुरुस्स अप्पेउं अन्नं देसतरं वय मोगहलं येइया पच्छा घोर वीर-तलवं घर {९०१) अहवा हा हा अहं मूढो आयसल्लेण सल्लिओ समणाणं नेरिसं जुतं समयमवी मणसि धारिलं (९०२) एत्या उ मे पछितं आलोएतालहुं चरे अहया णं न आलोउं मायाथी मण्णिमो पुणो (९०३) ता दस वाते आयामं मास-खमणस्स पारणे वीसयंबिलमादीहिं दोदोमासाण पारणे (९०४) पणवीसं वासे तत्य चंदायण-तवेणय छट्टम-दसमाइंअहवासे यनूनगे (९०५) मह-घोरेरिस पछित्तं सयमेवेत्याणुचरं गुरु-पामूलेऽवि एत्येय पायच्छित्तं मे न अग्गलं ॥५०॥ ||५|| ॥५२॥ ॥५३॥ ॥५४॥ ॥५५॥ ॥५६॥ ॥५७|| ॥५८| ॥५१॥ For Private And Personal Use Only

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