Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 88
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्ययणं-५ आयरियं पयं पावेझा गोयमा जेणं केई कहिँचि कयाई पमायदोसओ असई कोहेण वा मानेण वा मायाए वा लोभए वा रागेण वा दोसण या भएण वा हासेण वा मोहेण वा अण्णण-दोसेण वा पश्यणस्सणं अण्णयरे द्वाणे वइमित्तेणं पिअणायारं असमायारी परूवेसाणे वा अनुमण्णेमाणे वा पवयणमासाएजा से णं बोहिं पिनो पावे किमंग आयरियपयलंमं से मयवं किं अभब्वे मिच्छादिट्ठी आयरिए भवेजा गोयमा मवेशा एत्यं चणं इंगालमद्दगाई नेए से भयवं किं मिच्छादिट्ठी निक्खमेजा गोयमा निक्खमेशा से भयदं कयरेणं लिंगेणं से णं वियाणेजा जहा णं धुवमेस मिच्छादिट्ठी गोयमा जे णं कय-सामाइए सव्य-संग-विमुत्ते भवित्ताणं अफासु-पाणगं परिमुजेजा जे णं अणगार-धम्म पडिवजित्ताणमसई सोइरियं वा पुरोइरियं वा तेउकायंसेवेन वा सेवावेज वा तेउकायं सेविजमाणं अण्णेसिं समणजाणेज या तहा नवाह बंभवेर-गत्तीणंजे केई साह वा साहणी वा एककमवि खंडेल वा विराहेज वा खंडिजमाणं वा विराहिज्जमाणं वा बंपचेर-गुत्ती परेसिं समणुजाणेजा वा मणेण वा वायाए वा काएण वा से णं मिच्छाद्दिहि न केवलं मिच्छादिट्ठी अभिग्गहयमिच्छादिट्ठी वियाणेशा २५॥ (८३७) से भयवं जे णं केई आयरिएइ वा मयहरए इ वा असई कहिचि कयाई तहाविहं संविहाणगमासज्ज इणमो निग्गंथं पवयणमण्णहा पनवेशा से णं किं पावेझा गोयमा जं सावडायरिएणं पावियं से भयवं कयरेणं से सायजयरिए किं वा तेणं पावियं ति गोयमा गंइओय उसभादि-तित्यंकर-चउवीसिगाए अनंतेणं कालेणं जा अतीता अण्णा घउवीसिगा तीए जारिसो अहयं तारिसो चेव सत्त-रयणी-पमाणेणं जगच्छेरय-भूयो देविंद-विंदवंदिओ पवर-या-धम्मसिरी नाम चरम-धम्मतित्थंकरो अहेसि तस्से य-तित्ये सत्त अच्छेरगे पभूए अहण्णया परिनिव्वुडस्सणं तस्स तित्थकरस्स कालक्कमेणं असंजयाणं सक्कार-कारवणे नाम अच्छरेगे वहिउमारद्धे तत्य णं लोगाणुवत्तीए मिच्छत्त-वइयं असंजय-पूयाणुरयं बहु-जण-समूहं तिवियाणिऊणं तेणं कालेणं तेणं समएणं अमुणिय-समय-सम्मावेहिं ति-गारव-मइरा-मोहिएहिं नाम-मेत-आयरियमयहरेहिं सड्ढाईणं सयासाओ दविण-जायं पडिग्गाहिय-यंम-सहस्ससिए सक-सके ममत्तिए चेइयालगे कारायिऊणं ते चेय दुरंत-पंत-लक्खणाहमाहमेहिं आसईए ते चेव चेइयालगे मासीय गोविऊणं च बल-वीरिय-पुरिसक्कार-परक्कमे संते बले संते वीरिए संते पुरिसक्कार-परक्कमे चइऊण उग्गाभिग्गहे अनियय-विहारं नीयावासमासइत्ता णं सिढिलीहोऊणं संजमाइसहिए पच्छा परिचिघाणं इहलोग-परलोगायायं अंगीकाऊणं य सुदीह-संसारं तेसुं चेव पढ-देवलेसुं अद्यत्यं गढिरे मुचिरे ममीकाराहंकारेहि णं अभिभूए सयमेव विचित्तमाल दामाईहिं णं देवश्चणं काउमशुञ्जए जंपुण समय-सारं परं-इमं सव्यन्नु-वयणं तंदूर-सुदूरयरेणं उझियंतितंजहा-सव्वे जीया सव्वे पाणा सवे भूया सव्वे सत्ता न हंतव्या न अझायेयव्या न परियावेयव्या न परिधेतव्वा न विराहेयव्वा न किलामेयव्वा न उद्दवेयव्वा जे केई सुहुमा जे केई बायराजे केई तसाजे केई पावरा जे केई पञ्जत्ताजे केई अपञ्जत्ता जे केइ एगेंदियाजे केइ बेइंदिया जे केई तेइंदियाजे केईचउरिदिया जे केई पंचेंदिया तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाएकाएणं जं पुण गोयमा मेहुणं तं एगतेणं निच्छयओ बाढं तहा आउ-तेउ-समारंपं च सव्वहा सब्दपयारेहिं णं सययं विवजेजा मुणीति एस धम्मे धुवे सासए नीरए समेच लोग खेयाहिं पवेइयं ति।२६। (८३८) से भयवं जे णं केई साहू वा साहुणी वा निगये अणगारे दव्वत्थयं कुजा से णं For Private And Personal Use Only


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