Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अन्यायणं-५
णं जहिट्ठमनोरहाणं असंपत्ती से णं तावपंचप्पयार-अंतराय-कम्मोदएजस्य णं पंचप्पयार-अंतरायकम्पोदए तत्य णं सब-दुक्खाणं अग्गणीभूए पढपे ताव दारिद्दे जे णं दारिद्दे से गं अयसब्भक्खाण अकित्ती-कलंकरासीणं मेलायगागमे जेणं अयसमक्खाण-अकित्ती-कलंक-रासीणं मेलावगागमे सेणं सयल-जण-लजणिज्जे निंदणिज्जे गरहणिजे खिंसणिज्जे दगंछणिजे सब्ब-परिभए जीविए जेणं सव्व-परिपूए जीविए से णं सम्मइंसण-नाण-चारिताइगुणेहिं सुदूरपेरणं विप्पमुक्के चेव मणुय जम्मे अन्नहा चा सब परिभए चेव न भवेजा जेणं सम्मइंसण-नाण-वरित्ताइ गुणेहिं सुदूरयरेणं विप्पमुक्के चेव न भवे से णं अनिरुद्धसवदारते चेव जे णं अनिरुद्धसवदारते चेव से गं बहलयूल-पावकम्माययणे जेणं बहल-थूल-पाव-कम्माययणे से णं बंधे से णं बंधी से णं गुती से णं चारगे सेणं सव्यमकल्लाणममंगल-जाले दुविमोस्खे कक्खड-धन-बद्ध-पुट्ट-निकाइए कम्म-गंठि जेणं कक्खड-धन-बद्ध-पुटु-निकाइय-कम्म-गंठी से णं एगिदियत्ताए बेइंदियत्ताए तेइंदियत्ताए चउर्रिदियत्ताए पंचेंदियत्ताए नारय-तिरिच्छ-कुमाणुसेसुं अनेगविहं सारीर-माणसं दुक्खमनुभवमाणे णं वेइयव्वं एएणं अद्वेणं गोयमा एवं बुचइजहा जायेगे जे णं वासेझा अत्येगे जेणं नो यासेजा।।।
. (१९४) से भयवं किं पिच्छत्तेणं उच्छाइए केइ गच्छे भवेजा गोयमा जेणंसे आणा-विराहगे गच्छे भवेना सेणं निच्छयओ चेव मिच्छतेणं उच्छाइए मच्छे मवेञा से भयवं कयरा उन सा आणा जीए ठिए गच्छे आराहगे मवेजा गोयमा संखाइएहि घाणंतरेहि गछस्सणं आणा पत्नत्ताजीए ठिए गच्छे आराहगे पवेजा।
(६९५) से भयवं किं तेसिं संखातीताणं गच्छमेरा थाणंतराणं अस्थि केई अन्नयरेषाणंतरेणं जे णं उसग्गेणं या अवयाएण या कई चिय पसाय दोसेणं असई अइक्कमेजा अइक्कतेणं या आराहगे भवेजा गोयमा निच्छओ नत्थि से भय केणं अद्वेणं एवं बुच्चइ जहा णं निच्छयो नत्थि गोयमा तिस्थयरे णं ताद तित्यपरे तित्थे पुण चाउदण्णे सपणसंधे से णं गच्छेसुं पइट्ठिए गच्छेसु पि णं सम्मइंसण-नाण-चारिते पहिए ते य सम्मइंसण-नाण-चारित्ते परमपुत्राणं पुजयरे परमसरण्णाणं सरण्णे परम-सेव्याणं सेव्ययरे ताइंच जत्यणं गच्छे अन्नयो ठाणे कत्यइ विराहिलंतिसे णं गच्छे समग-पणासए उम्मग्ग-देसएजेणं गच्छे सम्मग्ग-पणासगे उम्माग-देसए से णं निच्छयओ चेव अणाराहगे एएणं अट्ठणं गोयमा एवं बुद्धइ जहा णं संखादीयाणं गच्छ-मेरा ठाणंतराणं जे णं गछे एगमन्नयरहाणं अइक्कमेना से णं एगतेणं चैव आणाविराहगे।४।।
(६९६) से णं भययं केवइयं कालं जाव गच्छस्स गं मेरा पन्नविया केवतियं कालं जावणं गच्छस्स मेरा नाइक्कमेयव्या गोयमा जाव णं महायसे महासत्ते महाणुभागे दुष्पसहे णं अणगारे तावणं गच्छमेरा पन्नवियाजावणं महायसे महासत्ते महाणुभागे दुप्पसहे अणगारे तावणं गछमेरा नाइकूकमेयब्धा ।।
(६९७) से भयवं कयरेहि णं लिंगेहि वइक्कमियमेरं आसायणा-बहुलं उम्माग-पट्टियं गच्छं वियाणेजा गोयमा जं असंठवियं सच्छंदयारि अमुणियसमयसमावं लिंगोवर्जीवि पीढग फलहगपडिबद्धं अफासु-बाहिर-पाणग-परिमोइं अमुणिय-सत्तमंडली-धम्मं सव्वावस्सग-कालाइक्कमयारि आवस्सग-हाणिकरं ऊणाइरित्ता वस्सगपवित्तं गणणा-पमाण ऊगाइरित्त-रयहरण-पत्तदंडग-मुहणंतगाइ-उवगरणधारिं गुरुवगरण-परिमोई उत्तरगुणविराहगं गिहत्यछंदाणुवित्ताई सम्माणपवित्तं पुढवि-दगागणि-वाऊ-वणफती-बीय-काय-तस-पाण-बि-ति-चउ-पवेदियाणं का
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