Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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रणे वा अकारणे वा असती पमाय- दोसओ संघट्टणादीसुं अदिड-दोसं आरंभ-परिग्गर- पवित्तं अदिन्नालोपणं विगहा -सीलं अकालयारिं अविहि-संगहि ओवगहिय अपरिक्खिय पव्या वि उवट्टाविय - असिक्खाविय-दस विह-विनय सामायारिं लिर्गिणं इड्डि-रस- साया- गारव - जाइयमयचउकसाय-ममकार-अहंकार- कलि- कलह-झंझा- डमर - रोद्दट्टज्झाणीवगयं अठाविय बहु-मयहरं दे देहि त्ति निच्छोडि यकरं बहु-दिवस-कय- लोयं विजा-मंत-तंत- जोग-जाणाहिज नेक्कबद्धकखं अबूढ-मूल जोग-निओगं दुक्कालाई- आलंबणमासज अकप-कीय गाइपरिभुंजणसीलं जं किं चि रोगायंकमालंबिय तिमिच्छाहिणंदणसीलं जं किं चि रोगायंकमासीय दिय-तुयट्टण सीलं कुसील- संभासणाणुवित्तिकरणसील अगीयत्य- सुह - विणिग्गय- अनेग-दोस-पायड्ढि वयणापुट्ठाण - सीलं असि धणुखग्ग-गंडिव कोंत-चक्काइ पहरण-परिग्गहिया-हिंडणसीलं साहुवेसुज्झिय अन्नवेस परिवत्तकयाहिंडणसीतं एवं जाव णं अद्धट्ठाओ पयकोडिओ ताव णं गोयमा असंठवियं चैव गच्छं वायरेज्जा | ६ |
महानिसीहं ५ / / ६९७
·
(६९८) तहा अन्ने इमे बहुप्पणारे लिंगे गच्छस्स णं गोयमा समासओ पत्रविजंति एते य जं पयरिसेणं गुरुगुणे वित्रेए तं जहा गुरु ताव सव्व- जग-जीय- पाण- भूय-सत्ताणं माया भयइ किं पुण जं गच्छ से सीस-गणाणं एगंतेणं हियं मियं पत्यं इह-परलोगसुहावहं आगमानुसारेणं हिओवएसं पयाइ नो णं बसणाहिए अहो णं गहग्धत्थे उम्मत्ते अत्थि एइ वा जहा णं मम इमेणं हिओवएसपाणेणं अमुग-लाभं भवेजा नो णं गोयमा गुरुसीसगाणं निस्साए संसारमुत्तरेशा नो णं परकहिं सुहाहिं कस्सइ संबंध अत्थि | ७ |
( १९९ ) ता गोयमेत्य एवं ठियम्मि जइ दढ़-चरित्त गीयत्ये गुरु-गुण- कलिए य गुरू भणेज असई इमं वयणं ( ७००) मिणगोणसंगुलीए गणेहिं वा दंत-चक्कलाई से तं तमेव करेजा कचंतु तमेव जाणंति
( ७०१) आगम-विऊ कयाई सेयं कायं मणेच आयरिया तं तहा सद्दहियव्वं भविपव्वं कारणेण तहिं (७०२) जो गिण्हइ गुरु-वयणं भण्णंतं भावओ पसण्ण-मणो ओसहमिद पितं तं तस्स सुहायहं होइ (७०३) पुत्रेहिं चोइया पुर कएहिं सिरि-मायणा भविय सत्ता गुरुमागमेसि भद्दा देवयमिव पर्ूवासंति (७०४) बहु सोक्ख-सय- सहस्साण दायगा मोयगा दुह-सयाणं आयरिया फुडमेयं केसि पएसीए ते हेऊ (००५) नरय- गइ-गमण-परिहत्य कए तए पएसिणा रत्रा अमर विमाणं पत्तं तं आयरियप्पभावेणं (७०६) धम्ममइएहिं अइसुमहुरेहिं कारण- गुणोवणीएहिं पल्हायंतो हिययं सीसं जोएजा आयरिओ (७०७) एत्वं चारयियाणं पणपन्नं होति कोडि-लक्खाओ कोडि - सहस्से कोडि-सए य तह एत्तिए चैव
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॥९॥
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॥१२॥
॥१३॥
119801
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॥१६॥
॥१७३॥

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