Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
___
11५३॥
Il et
||५||
||५
||
||५७॥
||५८11
॥५॥
॥६
॥
मायण-५ (४३) जत्य य उसमादीणं तित्ययराणं सुरिंदमहियाणं
कम्मह-विप्पमुक्काण आणं न खलिजइ स गच्छो (७४४) तित्यवरे तित्थयरे तित्थं पुणजाण गोयमासंघ
संघेय ठिए गच्छे गच्छ-ठिए नाण-दसण-चरिते (४५) नादसणस्स नाणंदसणनाणे मयंति सव्यत्य ।
भयणाचारितस्स उदंसण-नाणे घुवं अत्यि (४) नाणी सण-हिओचरित-रहिओ उपमइ संसारे
जो पुण चरित्त-जुतोसो सिग्झइ नत्यि संदेहो (७४७) नाणं पगासयं सोहओतवो संजमो उ गत्तिकरो
तिहं पिसमाओगे मोक्खो नेक्कस्स वि अमावे (७४८) तस्स विय संकंगाईनाणादि-तिगस्सखंति-पादीणि
तेर्सि चेकेक्क-पयंजत्थाणुद्विजइ स गच्छो (७४९) पुढवि-दगागणि-याऊ-वणप्फई तह तसाण विविहाणं
मरणंते विनमणसा कीरइ पीडतयं गच्छं (७५०) जत्यय बाहिर-पाणस्स बिंदु-मेत्तं पि गिम्ह-मादीसुं
तण्हा-सोसिय-पाणे मरणे विमुणी न इच्छंति (७५१) जत्यय सूल-विसूइय-अन्नयरे वा विचित्त-मायके
उप्पत्रे जलणुज्जालणाइंन करे मुणी तयं गच्छं (७५२) जत्य यतेरसहत्थे अजाओ परिहरति नाण-धरे
मणसा सुय-देवयमिव-सव्वमिवीत्थी परिहरंति (७५३) इति-हास-खेस-कंदप्प-नाह-बादं न कीरए जत्य
धोवण-डेवण-लंधणन मयार-जयार-उच्चारणं (७५४) जत्यित्यी-कर-फरिसं अंतरियं कारणे वि उप्पन्ने
दिट्टीविस-दित्तागी-विसं व वजिजइस गच्छो (७५५) जत्यित्यी-कर-फरिसं लिंगी अरहा वि सयमवि करेला
तंनिच्छयओ गोयम जाणिज्ञा मूल-गुण-वाहा (७५६) मूल-गुणेहिं उखलियं बहु-गुण-कलियं पिलद्धि-संपन्न
उत्तम-कुले विजायं निद्धाडिजइ जहिं तयं गच्छं (७५७) जत्तहिरण्ण-सुवण्णे धण-धन्ने कंस-दूस-फलहाणं
सयणाणं आसणाणं यन य परिभोगो तयं गच्छं (७५८) जत्य हिरण्ण-सुवण्णं हत्येण परागयंपिनोछिप्पे
कारण-समप्पिय पिहु खण-निमिसद्धं पितं गच्छं (७५९) दुद्धर-बमव्वय-पालण? अजाण चवल-चित्ताणं
सत्तसहस्सापरिहार-द्वाणवी जत्यत्यितंगच्छं (७६०) जत्थुत्तरवडपडिउत्तरेहिं अजाओ साहुणा सद्धिं
पलति सुकुद्धावी गोयम किं तेण गच्छेणं
॥६१॥
॥२॥
॥६५॥
IME७||
||६८॥
॥E९॥
॥७०॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154