Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२ महानिसीहं ३ // ६२३ कुसीले नेए तहा जे भिक्खू पसत्याइं सिद्धंताचरिय-पुराण-धम्म-कहाओ य अण्णा च गंथसत्याई सुणेत्ता णं न किंचि आय-हियं अनुट्टे नाण-मयं वा करेइ से णं पसत्य-सवणकुसीले नेए तहा जिब्मा- कुसीले से णं अनेगहा तं जहा- तित्त- त- कडुय कसाय-महुरंबिल-लवणाई - रसाई आसायंते अदिट्ठाऽ सुयाई इह-परलोगो-भय- विरुद्धाई सदोसाई मयार-जयारुच्चारणाई अयसऽमक्खासंताभिओगाई वा भते असमयण्णू धम्मदेसणा पवत्तणेण य जिब्या-कुसीले नेए, से भयवं किं भासा विभासियाए कुसीलत्तं भवति गोपमा भवइ से भयवं जइ एवं ता धम्म- देसणं-कायव्वं गोयमा १३७ ॥ (६२४) सावजऽणवजाणं वयणाणं जो न जाणइ विसेसं वोतुं पि तस्स न खमं किमंग पुणदेसणं काउं ||१२०|| (६२९) तहा सरीर-कुसीले दुविहे चेट्ठा-कुसीले विभूसा-कुसीले य, तत्थ जे भिक्खू एवं किमि-कुल-निलयं सउण-साणाइ भत्तं सडण- पडण- विद्धंसण-धम्मं असुई असासयं असारं सरीरगं आहरादीहिं निद्यं चेद्वेजा नो णं इणमो भय-सय-सुलद्ध-नाण- दंसणाइ-समण्णिएणं सरीरेणं अचंत- घोर-वीरुग्ग-कट्ठ-घोर-तव-संजम - मणुद्वेज्जा से णं चेट्ठा कुसीले तहा जे णं विमूसा कुसीले से वि अणेगहा तं - जहा तेलाव्यंगण- विमद्दण संबाहण-सिणाणुब्वट्टण-परिहसण- तंबोल-धूवणवासण - दसणुग्घसण- समालहण - पुप्फोमालण केस समारण-सोवाहण-दुवियड्ढगइ-भणिरहसिर-उवविडुट्ठिय-सण्णिवण्णेक्खिय-विभूसावत्ति-सविगार-नियंसणुत्तरीय- पाउरण- दंडग-गह माई सरीर-विभूसा कुसीले नेए एते च पवरण- उद्वाह-परे दुरंत-पंत-लक्खणे अदट्ठले महा पावकम्पकारी विभूसा कुसीले भवंति गए दंसण कुसीले ॥३८॥ (६२६) तहा चारितकुसीले अनेगहा- मूलगुण उत्तर- गुणेसुं तत्थ मूलगुणा पंच महव्वयाणी राई- भोयण- छट्टाणि तेसुं जे पमत्ते भवेज्ञा तत्थ पाणाइयायं पुढवि दगागणिमारुय वणष्फती - बितिच-पंचेंदियाईणं संघटण - परियावण-किलामणोद्दवणे मुसावायं सुहुमं बायरं च तत्य सुहुमं पयलाउल्ला मरुए एवमादि बादरो कण्णालीगादि अदिन्नादाणं सुहुमं बादरं च तत्त सुहुमं तण- डगलच्छार- मलगादिणं गहणे बादरं हिरण्ण-सुयण्णादिणं मेहुणं दिव्योरालियं मणबइ-काय-करणकारावणानुमइभेदेणं अट्ठरसहा तहा करकम्मादी सचिताचित्त-भेदेणं नवगुत्ति-विराहणेण वा विभूसावत्तिएण वा परिग्गहं सुहुमं बादरं च तत्य सुहुमं कप्पट्टगरक्खणममत्तो बादरं हिरण्णमादीणं गहणे धारणे या राईमोयणं दिया गहियं दिया भुत्तं दिया गहियं राई मुत्तं राओ गहियं दिया भुत्तं, एवमादि, [ उत्तर - गुणा ] | ३९-११ (६२७) पिंडस्स जा विसोहि समितीओ पावणा तवो दुविहो पडिमा अभिग्गा वि य उत्तरगुण मो विययाहि (६२८) तस्य पिंडविसोहि - १३९-२ | ( १२९) सोलस उग्गम दोसा सोलस उप्पायणा य दोसा उ दस एसणाए दोसा संजोयण-माइ पंचेव (६३०) तत्व उग्गम- दोसा । ३९ - ३ | ( ६३१) आहाकम्मुद्देसिय-पूईकम्मे य मीसजाए य ठवणा पाहुडियाए पाओयर-कीय - पामिचे For Private And Personal Use Only ॥१३१॥ ।। १२३ ।। ॥ १२३॥

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