Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अजय-४ य।१। www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६५५) अह अत्रया अचलंतेसुं अतिहि-सक्कारेसुं अपरिमाणेसुं पणइयण- मनोरहेसुं विहडतेसु य सुहिसयणमित्त बंधव-कलत्त-पुत्त-नत्तुयगणेसुं विसायमुवगएहिं गोयमा चिंतियं तर्हि सढगेहिं तं जहा- । २-१ । (६५६) जा विहवो ता पुरिसस्स होइ आणा-वडिच्छओ लोओ गलिओदयं घणं विजुला विदूरं परिच (६५७) एवं - चिंतिऊणावरोप्परं भणिउमारद्धे तत्थ पढमो - १२-२ (६५८) पुरिसेण मान- धण- वज्जिएण परिहीण भागधिज्जेणं ते देसा गंतव्या जत्य स-वासा न दीसंति जत्तुत्तरं न दिजइ हा देव भणामि किं तत्थ (६६५) आएसमवीमाणं पमाणपुव्वं तर ति नायव्यं मंगलममंगलं वा तत्थ वियारो न कायव्वी (६६६) नवरं एत्थ य में दायव्वं अज-मुत्तरमिमस्स खर-फरूस-कक्कसाऽणिट्ट-दुट्ठ-निडुर-सरेहिं तु (६६७) अहबा कह उत्यल्लउ जीहा मे जेड-भाउणो पुरतो जस्सुच्छंगे विणियंसणो हं रमिओऽ सुइ-विलित्तो (६६८) अहबा कीस न लज्जइ एस सयं चैव एवं पभणंतो जदं नु कुसीले एते दिट्ठीए वी न दट्ठव्वे 11911 (६५९) तहा बीओ - १२-३ (६६०) जस्स घणं तस्स जणो जस्सत्यो तस्स बंधवा बहवे धण - रहिओ हुमणूसो होइ समो दास-पेसेहिं ॥३॥ (६६१) अह एक्मवरोप्पां संजोजेऊण गोयमा कयं देसपरिचाय निच्छंय तेहिं ति जहा बच्चामो संतरं ति तस्य णं कयाई पुचंति चिर- चिंतिए मनोरहे हवइ य पव्वज्जाए सए संजोगी ज‍ दिव्यो बहुमण्णेज्जा जाव णं उज्झिऊणं तं कमागयं कुसत्यलं पडिवण्णं विदेसगमणं । २-४ । २ । (६६२) अत्रया अनुपणं गच्छमाणेहिं दिट्ठा तेहिं पंच साहुणो छट्टं समणोवासगं ति तओ मणियं नाइलेण जहा भो सुमती मद्दमुह पेच्छ केरिसो साहु सत्यो ता एएणं चेव साहु-सत्येणं गच्छामो जइ पुणो वि नूणं गंतव्वं तेण भणियं एवं होउ ति तओ सम्मिलिया तत्य सत्ते- जाव णं पाणगं वहति तावणं भणिओ सुमती नातिलेणं जहा णं भद्दमुह मए हरिवंस- तिलय-मरगयच्छविणो सुगहिय- नामधेयस्स बावीसइम-तित्यगरस्स णं अरट्ठनेमि नामस्स पाय-पूले सुहनिसत्रेणं एवमवधारियं आसी जहा जे एवंविहे अणगार-रूवे भवंति ते य कुसीले जे य कुसीले ते दिट्टीए वि निरक्खिउं न कप्पंति ता एते साहुणो तारिसे मणागं न कप्पए एतेर्सि समं अम्हाणं गमणसंगीता वयं एते अम्हे अप्पसत्येणं चेव वइस्सामी न कीरइ तित्थयर-वयणस्सातिवक्कमो जओ ससुरासुरसा वि जगस्स अलंघणिज्जा तित्थयर-वाणी अन्नं च-जाव एतेहिं समं गम्मइ ताव गं चिठ्ठद्ध ताव दरिसणं आलावादी नियमा भवंति ता किमन्हेहिं तित्थयर-वाणि उल्लंघित्ताणं गंतव्वं एवं तमणुभाणिकणं तं सुमति हत्थे गहाय निव्वडिओ नाइलो साहु-सत्थाओ | ३ | (६६३) निविट्ठो य चक्खु - विसोहिए फासुग-भभू-पएसे तओ भणियं सुमइणा जहा 1४-१ | ( ६६४) गुरुणो माया- वित्तस्स जेड-भाया तहेब भइणीणं For Private And Personal Use Only ॥२॥ ॥४॥ 11411 ॥६॥ ५५ ॥७॥ ॥८॥


Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154