Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अध्ययण- ३
एसी पंच नमोक्कारो कि करेजा सव्वं पादं नाणावरणीयादि-कम्म-विसेसं तं पयरिसेणं दिलोदिसं नासयइ सव्व-पाद-पणासणी एस चूलाए पढमो उद्देसओ एसो पंच नमोक्कारो सव्यपाव-पणासणो किं विलेज मंगो निव्वाण सुह-साहक्क-खमो सम्म- दंसणाइ आराहओ अहिंसालक्खणो धप्पो तं मे लाएजा त्ति मंगल पमं भवाओ संसारओ गलेज्जा तारेजा वा मंगलं बद्धपुडुनिकाइय- दुप्पगार कम्म-रार्सि मे गालेजा विले त्ति या मंगलं एएर्सि मंगलाणं अन्नेसिंच मंगलाणं सव्वेर्ति किं प्रढमं आदीए अरहंताईणं हुई चेव हवइ मंगलं ति एस समासत्यो वित्यरत्यं तु इमं तं जहा ते णं काले णं ते णं समए णं गोयमा जे केइ पुचि वावण्णिय-सद्दत्ते अरहंते भगवंते धम्म - तित्थकरे भयेशा से णं परमपुत्राणं पि पुञ्जयरे भयेजा जओ णं ते सव्वे वि एयलक्खणसमणिए भवेजा तं जहा- अचिंत अष्पमेय-निरुवमाणष्णसरिस - पवर- वरुत्तम - गुगोहाहिट्ठियत्तेणं तिन्हं पि लोगाणं संजणिय-गरुय-महंत माणसाणंदे तहा य जम्मतंतर-संचिय-गरुय - पुत्र-परमारसंविदत्त - तित्थयर - नाम - कम्मोदएजं दीहर- गिम्हायव - संताव- किलंत - सिहि- उलाणं वा पढमपाउस धारा-भर-वरिसंत-घण- संघायमिव परम-हिओवएस- पयाणाइणर घण-राग-दोस-मोहमिच्छताविरति पमाय दुट्टु किलिडुज्झबसायाइ- समझियासुह-घोर- पावकम्मायय- संतायस्स निष्णासगे भव्य सत्ताणं अनेग- जम्मंतर-संविदत्त गुरुय पुत्र-पम्माराइसय-खलेणं समज्जियाउल बल-वीरिए सरियं सत्तं-परक्कमाहिट्ठियतणू सुकंत- दित्त- चारु- पायगुडुग्गरूवाइसएणं सयलगह-नक्खत्त-चंदपंतीणं सूरिए इव पयड पयाय दस-दिसि पयास- विष्फुरंत किरण पदभारेण निपतेयसा विच्छायगे सयल सविज्जाहर-नरामराणं सदेव-दानर्विदाणं सुरलोगाणं सोहग्ग-कंति-दित्तिलावण्ण-रूव-समुदय- सिरिए साहाविय-कम्मक्खय-जणिय-दिव्वकय-पवर-निरुवमाणण्ण सरिसबिसेस साइसयाइ-सयसयल कला - कलाव-विच्छुछुपरिदंसणेणं भवणवइ-चाणमंतर जोइसचेमाजियाहमिंद-सईदच्छरा सकिन्नर -नर-विजाहरस्स ससुरासुरस्सा वि णं जगस्स अहो अहो अहो अज्ज अदिवपुव्वं दिट्ठमम्हेहिं इणमो सविसेसाउल-महंताचिंत परमच्छेश्य-संदोहं सम-गाल मेवे -
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समुइयं दिति तक्खणुप्पन्न पण निरंतर बहलमप्पमेयाचिंत- अंतोसहरिस- पीयाणुरायवसपवियंमंताणु समय-अहिणवा हिणव परिणाम विसेसतेणं मह मह महं ति जंपिर- परोप्मराजं विसायमुवयं ह ह ह भी घिरत्यु अधन्ना अपुन्ना वयं इइ मिंदिर- अत्ताणगम नंतर संखुहियहियय- पुच्छिर-सुल-चेयण सुण्ण-वुण्ण- सिद्धिलिय-सगत्त- आउंचण-पसारणा- उम्पेस- निमेसाइसारिरिय - बाबार मुक्क - केवलं अणोवलक्ख खलंत-मंद-मंद दीह- हुहुंकार - विभिस्स-मुक्कदीहुण्ड - बहल - नीसासेगत्तेणं अइअभिनिविट्ठ-बुद्धीसुनिच्छिय-मणस्स णं जगस्स किं पुण तं तवमणुचेट्ठेमो जेणेरिसं पवररिद्धिं समेज त्ति तग्गय-मणस्स णं दंसणा चेव निय-निय-वच्छत्थलनिहिप्पंत-करयलुष्पाइय-महंत माणस चमक्कारे ता गोयमा णं एवमाइ- अनंत गुणगणाहिट्ठियसरीराणं तेर्सि सुगहिय-नामधेजाणं अरहंताणं भगवंताणं धम्मतित्थगराणं संतिए गुण-गणहरयण-संदोहोह -संघाए अहण्णिसाणुसमयं जीहा-सहस्सेणं पि वागरंतो सुरवई वि अन्नयरे या केई चउनाणी माइसईय छउमत्येणं सयंभुरमणोवहिस्स व बास-कोडीहिं पि नो पारं गच्छेजा जओ णं अपरिमिय-गुण-रयणे गोयमा अरहंते भगवंते धम्मतित्थगरे भवंति ता किमित्थं भण्णउ जत्थ य णं तिलोग - नाहाणं जग- गुरुणं भुवणेक्क बंधूणं तेलोक्क लग्गणखंभ-पवर- वर- धम्मतित्यगंराणं के सुरिंदाइ - पायंगुग्ग- एग देसाओ अनेगगुणगणालंकरियाओ पति-भरणिपरिक्क रसियाणं
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