Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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४०
J॥१६॥
॥१७॥
||१९||
॥२०॥
पहानिसीह - A/-Xv सव्येसि पि वा सुरीसाणं अनेग-भवंतर-संचिय-अणिg-टु-काम-रासी-जणिय-जोग-दोमणसादि-दुक्ख-दारिद्द-किलेस-जन्म-जरा-मरण-रोग-सोपग-संतायुवेग-वाहियेयणाईण खयहाए एग-गुणस्साणंत-पागमेगं मणपाणाणं जमग-समगमेद दिनयरकरे इ वाणेग-गुण-गणोहे जीहग्गे वि फुरंति ताईच न सक्कासिंदा वि देवगणा समकालं माणिऊणं किं पुण अकेवली मंस-चखुणो ता गोयमा गं एस एत्य परमत्ये वियाणेयव्वं जहा-णं जइ तित्यगराणं संतिए गुण-गणोहे तित्थयरे चेव वायरंति न उण अन्ने जओ णं सातिसया तेसि भारती, अहवा गोयमा किमेत्य पभूयवागरणेणं सारत्थं भण्णए।१३। [तं जहा] (४९५) नामपि सयल-कम्मट्ठ-मल-कलंकेहि विष्पमुक्काणं
तियसिंदचिय-चलणाण जिण-वरिंदाण जो सरइ (४९६) तिविह-करणोवउत्तो खणे खणे सील-संजमुझुत्तो
अविराहिय वय-नियमो सो विहु अइरेण सिझेजा (४९५) जो उण दुह-उबिग्यो सुह-तण्हालू अलि व्व कमल-वणे
यय-थुइ-मंगल-जय-सद्द-बावडो रुणुरुणे किंचि ॥१८॥ (४९८) भत्ति-मर-निमरो जिन-वरिंद-पायारविंद-जुग-पुरओ
मूमी-निद्वविय-सिरोकयंजली-यावडो चरित्तड्ढो (४९१) एक्कं पिगुणं हियए धरेज्ज संकाइ-सुद्ध-सम्मत्तो
अखंडिय-वय-नियमो तित्ययरताए सो सिज्झे (९००) जेसिं च णं सुगहिय-नामग्गहणाणं तित्यपराणं गोयमा एस जग पायडे पहच्छेरयमूए मुयणस्स विषयडरायड़े महंताइसए पवियंभेतं जहा।१४-११ (५०१) खीण-कम्म-पाया मुक्का बहु-दुक्ख-गब्यवसहीणं
पुनरवि अ पत्तेकेवल-मणपज्जव-नाण-चरिततणू . |२|| (१०२) मह जोइणो वि बहु दुख-मयर-पव-सागरस्स उब्विग्गा दखूणरहाइसए मयत्तमणा खणंजंति
॥२२॥ (५०३) अहवा चिउ ताय सेसवागरण गोयमा एवं चेष धम्मतित्यंकरे ति नाम-सन्निहियं पवरक्खरुव्दहणं तेसिमेव सुगहियनाम-धेजाणं मुवणेक्क बंधूणं अरहताणं भगवंताणं जिणवरिंदाणं धम्मतित्थंकराणं छज्जे न अण्णेर्सि जओ य नेगजमंतरऽअत्य-महोवसम-संवेगनिव्वेयानुकंपा-अत्यित्ताभिवत्तीसलणक्खण-पवर-सप्म-इंसगुल्लसंत-विरियाणिगूहिय-उपग-कघोरदुक्कर-सव निरंतरजिय-उत्तुंग-पुन्न-खंघ-समुदय-महपब्मार-संविढत्त-उत्तम-पवर-पवित्तविस्त कसिण-बंधु-नाह-सामिसाल-अनंत-वत्त-मय-भाय-छिन्न-भिन्न-पायबंधणेक-अबिइजतित्ययर-नामकम्म-गोपणिसिय सुकंत-दित्त-चारु-रुव-दस-दिसि-पयास-निरुवपट्ट-लक्खण-सहस्समंडियजगुत्तमुत्तम-सिरि नियास-यासयाइ-देव-मणुय-दिट्ठ-मेतत-क्खणंतं करण लाइय-चमक्क-नयण-माणसाउल-महंत-दिम्हय-पपोय-कारय असेस-कसिण-पावकम्म मल-कलंक-विप्पमुक्क-समघउरंस पवर-वर-पढम-वन-रिसभ-नाराय-संघयणाहिडिय-परम-पवित्तुत्तम-मुत्तिधरे ते चैव मगवते महायसे महासत्ते महाणुभागे पामेट्टी-सद्धम्म-तित्थकरे भवंति।१८ (407) सयल-नरामर-तियसिंद-सुंदरी-रूव-कंति-लावण्णं
सव्वं पि होज जइएगरासिं-सपिडियं कह वि
॥२३॥
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