Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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॥२४॥
॥२५॥
1॥२९॥
॥३०॥
ला
मायण-३ (५०५) तातं जिण-चलणंगुढग्ग-कोडि-देसेग-लक्ख-मागस्स
सन्निन्झे दिन सोहइजह छार-उद्धं कंचणगिरिसत्ति (१०६) अहवा नाऊण गुणतराइंअत्रेसिऊण सव्चत्य
तित्ययर-गुणाणमनंत-भागमलब्बतमन्नत्थ (५०७) जंतिहुयणं पिसयलं एगीहोऊणमुभमेगदिसं मागे गुणाहिओऽहं तित्ययरेपरमपुजे त्ति
॥२६॥ (१०८) तेछिय अचे वंदे पूए आराहे गइ-मइ-सरपणे य
जम्हातम्हा तेचेवमावओनमह धम्मतित्थयो ॥२७॥ (१०१) लोगे यि गाम-पर-नगर-विसय-जणवय-समाग-भरहस्स जोजेत्तियस्ससामी तस्साणत्ति ते करिति
॥२८॥ (५१०) नवरं गामाहिवई सुद्ध-सुतुडेक्क-गाम-मज्झाओ
किं देज जस्स नियगं-छेलाए तेत्तियं पुंछं (५११) चक्कहरो लीलाए सुह-सुतुडेक्क-गाम-मज्झाओ तेण य कमागय-गुरु-दरिद्द-नामंस नासेइ
[सयलबंधु-वग्गस्सत्ति (५१२) सामंता चक्कहरं चक्कहरोसुरवइत्तणं कंखे, इंदो तित्ययरत्तं ।
तित्थयरे उणजगस्सा विजहिछिय-सुह-फलए ॥३१॥ (५५३) तम्हाइंदेहिं वि कंखिइएग-बद्ध-लखेहि
अइसाणुराय-हियएहि उत्तमंन संदेहो (५४) तासयल देव दानव-गह-रिक्ख-सुरिंद-चंदमादीणं
तित्ययो पुञ्जयरे ते च्चिय पावं पणासेंति (५१५) तेसिय तिलोग-महियाण धम्मतित्थंकराणंजग-गुरुणं
मावचण-दब्वचण-भेदेण दुहऽचणं मणियं (५१६) पायचण चारित्ताणुट्ठाण कदुग्ग-योर-तव-चरणं
दव्यन्त्रणविरयाविरय-सील-पूया-सक्कार-दानादी ॥३५॥ (५१७) ता गोयमाणं एसेऽत्य परमत्येतं जहा
मावच्चणमुग्ग-विहारयाय दबधणंतु जिण-पूया
पढमा जतीण दोणि विगिहीण पदम चिय पसत्या ॥३६॥ (५१८) एत्थं च गोयमा केई अमुणिय-समय-सब्भावे ओसन्न-विहारी नीयवासिणो अदिष्टपरलोग-पद्यवाए सयंमती इड्दि-रस-साय-गारयाइमुच्छिए राग-दोस-मोहाहंकार-ममी- कारइसु पडिबद्धे कसिण संजय-सद्धाप्प-परम्मुहे निद्दय-नित्तिस-निग्धिण-अकुलण-निक्किचे पावायरणेक्क-अभिनिविद-बुद्धी एगंतेणं अइचंड-रोद्द कूराभिग्गहिय-मिच्छ-दिष्टिणो कय-सव्व-सावनजोग-पचक्खाणे विप्यमुक्कासेस-संगारंप परिग्गहे तियिहं तिविहेणं पडिवण्ण-सामाइए य दव्यत्ताए न भावत्ताए नाम मेत्तर्मुडे अणगारे महब्बयधारी समणे वि भवित्ता णं एवं मण्णापाणे सब्दहा उम्मगंपवत्तंति जहा-किल अम्हे अरहंताणं भगवंताणं गंध-माल-पदीव-सम्मजणोवलेवणविचित्त वत्य-बलि-धूयाइ-तेहिं पूया-सक्कारेहिं अनुदियहमभचणं पकुव्याणा तित्युच्छप्पणं
॥३२॥
1३३||
11३४॥
AL
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