Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अायण-श
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३७
वियोग-संतावुव्वेवगय-अयसम्यक्खाणं महवाहि वेयणा-रोग-सोग- दारिद्द- दुक्ख-भय-वेंमणस्तं तओ य एगंतिय तओ य एवंतियं अचंतियं सिव-मलयमक्खयं धुवं परम-सासयं निरंतरं सव्युत्तमं सोक्खं ति ता सव्वमेवेयं नाणाओ पवत्तेचा ता गोयमा एगतिय अचंतिय-परम-सासय-धुवनिरंतर- सव्युत्तम सोक्ख-कंडुणा पढमयरमेव तावायरेणं सामाइयमाइयं लोग-बिंदुसार -पञ्जवसाणं दुवालसंगं सुयनाणं कालंबिलादि- जहुत्त-विहिणोयहाणेणं हिंसादीयं च तिविहं तिविहेणं पडिक्कतेणं य सर- वंजण-मत्ता- बिंदुपय-बखरानूनगं पयच्छेद-घोस बद्धयाणुपुधि-पुव्वाणुपुवी अनानुपुवीए सुविसुद्धं अचोरिक्कायएणं एगत्तणेणं सुविण्णेयं तं च गोयमा अणिहणोरपारसुविच्छिण्ण- चरमोयहि मियसुदुरवगाहं सयल - सोक्ख-परम-हेउ भूयं च तस्स य सयल-सोक्खहेउ-भूयाओ न इव-देवया-नमोक्कारविरहिए केई पारं गच्छेसा इव-देवयाणं च नमोक्कारं पंचमंगलमेव गोयमानो न मण्णंति ता नियमओ पंचमंगलस्सेव पढमं ताय विणओवहाणं कायव्वं ति 1991
(४९३) से मयचं कराए चिहिए पंच- मंगलस्त णं विणओवहाणं कायव्वं गोयमा इमाए विहिए पंचमंगलस्स णं विणओवहाणं कायव्वं तं जहा-सुपसत्थे चेव सोहणे तिहि-करण-मुहुत्तनक्खत्त-जोग - लग्ग-ससीबले विप्यमुक्क-जायाइमयासंकेण संजाय-सद्धा-संवेग सुतिव्वतर-महंतुल्लसंत-सुहज्झवसायाणुगयभत्ती - बहुमाण - पुव्वं निष्णियाण-दुवालस-मत्त-ट्ठिएणं चेइयालये जंतुविरहिओगासे प्रत्ति-भर-निपरुद्धसिय-ससीसरोमावली- पम्फुल्ल-वयण-सयवत्त पसंत-सोमथिर-दिडी नव-नव-संवेग-समुच्छलंत-संजाय - बहल-घण- निरंतर अचिंत -परम-सुह-परिणामविसेसुल्लासिय सजीव - वीरियाणुसमय-विवर्द्धत - पामोय-सुविसुद्ध - सुनिम्मल- विमल-थिर-दढयरंतकरणं खितिणिहिय- जाणु ण सि- उत्तमंग-कर-कमल-मउल-सोहंजलि-पुडेणं सिरि-उसभाइपवर- वर-धम्म-तित्ययर-पडिमा बिंब - विणिवेसिय-नवण-माणसे गण-तग्गयझवसाएण सम
-- रित्तादि-गुण-संपओववेय-गुरु-सद्दत्थत्यागुट्ठाण करणेक्क- बद्ध-लक्ख-तवाहिय-गुरु वयण - विणिग्गयंविनयादिदे-बहुमान परिओसाऽणु-कपोवलद्दं अनेग-सोग-संतादुव्वेवग-महवाधिवेयणा- घोर - दुक्ख-दारिद्द - किलेस - रोग - जम्म-जरा-मरण-गम यास निवासाइ-दुङ-सावगागाहभीम-भवदहि-तरंग - भूयं इणमो सयलागम - मज्झ वत्तगस्स मिच्छत्त- दोसावहय-विसिट्ठ-बुद्धीपरिकम्पिय कुमणिय- अघडमान-असेस हेउदित जुत्ती-विद्धंस-निक्क पश्चल पोटस्स पंचमंगल- महासुयक्खंधस्स पंचज्झयोग-चूला-परिक्खित्तस्स पवर-पवयण- देवयाहि-प्रियस्स तिपदपरिच्छिण्णेगालावग सत्तक्खर परिमाणं अनंतगम पावत्य- पसाहगं सव्व - महामंत पयर-विजाणं परम-बीय-भूयं नमो अरहंताणं ति पढमज्झयणं अहिज्जेयव्वं तद्दियहे य आयंबिलेणं पारेयव्वं तहेव - दीने गाइ-स-गुण-संपओववेयं अनंतर भणियत्व-पसाहगं अनंतरुत्तेणेव कमेणं दुपयपरिच्छिन्ने गालावग - पंचक्खर - परिमाणं नमो सिद्धाणं ति बीयमज्झयणं अहिज्ज्ञेयव्वं ति तद्दियहे य आयंबिलेण पारेयव्यं एवं अनंतर मणिएणेव कमेणं अनंतरुत्तत्थ पसाहगंति-पय- परिच्छिण्णेगालवर्ग-सत्तक्खर - परिमाणं नमो उवज्झायाणं ति चउत्थं अज्झयणं चउत्य-दिने आयंबिलेण एव तहेव अनंतर भणियत्व पसाहगं पंचपय परिच्छिण्णेगालवग-नवक्खरपरिमाणं नमो लोए सव्वसाहूणं ति पंचमज्झयणं पंचम दिने आयंबिलेण तहेव तं अत्थानुगामियं एक्कारस-पयपरिच्छिन्न-तियालावगा-तेत्तीस अक्खर परिमाणं एसो पंचनमोक्कारो सव्व-पाव-पणासणो
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