Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पहानिप्तीह • Ire. (४९०) नो आगमओ य सुपसत्य-नाण-कुसीले अट्टहा नेए तं जहा-अकालेणं सुपसत्यनाणाहिजणऽज्झावण-कुसीले अविनएणं सुपसत्थनाणाहिजणज्झावण कुसीले अबहुमाणेणं सुपसत्यनाणाहिजणकुसीले अनोवहाणेणं सुपसत्थ-नाणाहिज्जणऽज्झायण-कुसीले जस्स य सयासे सुपसत्य-सुत्तत्योभयमहीयं तं निन्हवण-सुपसत्य-नाण-कुसीले सर-यंजण-हीणखरिय-ऽयक्खरिया हीयऽज्झावण-सुपसत्य-नाण-कुसीले विवरीय-सुत्तत्योभयाहीयज्झावण-सुपसत्थ-नाणकुसीले संदिद्ध-सुत्तत्योभयाहीयज्झावण-सुपसत्यनाण-कुसीले।।
(११) तत्त एएसि अट्ठण्हं पिपयाणं गोयमाजे केइ अनोवहाणेणं सुपसत्यं नाण-महीयंति अज्झावयंति वा अहीयंते इ या अज्झाययंते इ वा समणुजाणंति वा ते णं महा-पावकम्मे महती सुपसत्य-नाणस्सासायणं पकुव्वंति।१०।
(१२)से पयवंजइ एवं ता कि पंच-मंगलस्सणं उवहाणं कायव् गोयमा पढमं नाणं तओ दवा दयाए य सव्य-जग-जीव-पाण-भूय-सताणं अत्तसम-दरिसित्तं सब्द-जग-जीव-पाण-मयसत्ताणं अत्तसमदंसणाओ यतैसिं चैव संघट्टण-परियावण-किलावणोद्दावणाइ-दुक्खु-पायण-मयविवजणं तओ अनासवो अनासवाओ य संवुडासवदारत्तं संवुडासर-दारतेणं च दमो पसमो तओ यसम-सत्तु-मित्त-पक्खया सम-सत्तु-मित्त-पक्खयाए यअराग-दोसतंतओयअकोहया अमानया अमायया अलोभया अकोह-मान-माया-लोमयाए य अकसावत्तं तओ य सम्मत्तं समत्ताओ य जीवाइ-पयत्य-परित्राणं तओ य सब्दत्य-अपडिबद्धत्तं सव्वत्यापडिबद्धत्तेण य अन्नाण-मोहमिच्छत्तक्खयं तओ यिवेगो विवा-गाओ य हेय-उयाएप-यत्यु-वियालेणे-गंत-यद्ध-लक्खत्तं तओ य अहिय-परिच्चाओ हियायरणे य अनंतमब्युजमो तओ य परम पवितुत्तम-खंतादिवसविहअहिंसा-लक्खण-धम्माणुट्ठानिक-करण-कारावणा-सतचित्तयाए य सबुत्तमा खंती सबुतम मिउत्तं सव्वुत्तं अजव-मावत्तं सखुत्तमं सबज्झमंतरं सव्व-संग-परिचागं सव्युत्तमं सबज्झमंतरदुवालसविह-अधंत-घोर-धीरुग्ग-कट्ट-तव-चरणाणुट्टाणाभिरमणं सब्बुत्तमं सत्तरसविह-कसिणसंजमाणुट्ठाणपरिपालक्क बद्ध-लक्खत्तं सब्बुत्तमं सच्चगिरणं छक्काय-हियं अणिगृहियबलवीरिय-पुरिसक्कार-परक्कमपरि- तोलणं च सब्बुत्तम-सझायझाण-सलिलेणं पायकम्म-मललेव-पक्कालणं ति सव्युत्तमुत्तमं आकिंचणं सबुत्तममुत्तमं परम-परित्तुत्तम-सव्व-माव-भावंतरेहि णं सुविसुद्ध-सब्य दोस विष्प- मुक्क-नवगुती-सणाह-अट्ठारस-परिहारहाण-परिवेढिय-सुद्धद्धरघोर-बंभवय-धारणति तओ एएसिं चैव सव्युत्तम-खंती-मद्दव-अजय-मुत्ती-तव-संजम-सम्ब-सोयआकिंचण-सुदुद्धर-बंमवय-धारण-समुट्ठाणेणं च सव्व-समारंभ-विवझणं तओ य-पुढवि दगागणि-वाऊ वणफई बि-ति-चउ-पंचिदियाणं तहेव अजीव-कायसंरंभ-समारंभारंमाणं च मणोबइ-काय-तिएणं तिविहं तिविहेणं सोइंदियादि-संवरण-आहारादि-सण्णा विप्पजदत्ताए वोसिरणं तओ य अट्ठारस-सीलंग-सहस्स-धारितं अमलिय-अटारस-सीलंग सहस्स-धारणेणं च अखलियअखंडिय-अमलिय अविराहिय-सट्टागुग्गयर-विचित्ताभिग्गह-निव्वाहण तओ य सुर-मणुयतिरिछोईरिय-घोर परिसहोवसग्गाहियासणं समकरणेणं तओ य अहोरायाइ-पडिपासुं महा-पयत्तं तओ निप्पडिकम्म-सरीरया निपडिकम्म-सरीरत्ताए य सुक्कज्झाणे निप्पकंपत्तं तो य अणाइभव-परंपर-संचिय-असेस-कम्मटुं-रासि-खयं अनंत-नाण-दसण-धारित्तं च वउगइ-भव-चारगाओ निप्फे सव्य-दुक्ख-विमोक्खं मोक्ख-गमणं च तत्य अदिठ्ठ-जप्मजरा-मरणाणिड-संपओगिट्ठ
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