Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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मापण-२, उद्देसो-३ (४४५) तोमहयासायणं तेसिं इथि-गी-आउ-सेवणे
अनंतनाणी जिणे जम्हा एयं मणसा विनाऽभिलसे (४४६) तागोयमा सहियएणं एवं वीमसिउंदढं
विभावय जइबंधेजागिहि नो उअबोहिलाभियं (४४७) संजए पुण निबंधेजा एयाहिं हेऊहिंय
आणाइककम-बय-बभंगा तह उम्मग्ग-पवत्तणा (rre) मेहुणं चायुकायं च तेउकार्य तहेव य.
हवइ तम्हा तितयं तिजतेणं वजेजा सम्बहा मुनी (४४१) जे चरतेवपच्छित्तं मणेणं संकिलिस्सए
जह मणियं वाहणाणुढे निरयं सो तेण वचए (४५०) भयवंमंदसद्धेहि पायच्छित्तं न कीरई
अह कार्हिति किलिङ्ग-मणे तो अनुकंप विरुझए (४५१) नारायादीहि संगामे गोयमा सल्लिए नरे
सल्लुद्धरणे मवे दुक्खं नानुकंपा विरुज्झए (४५२) एवं संसार-संगामे अंगोवंगत-बाहिर
भाव-सल्लुद्धरिताणं अनुकंपा अनोवमा (४५३) भयवं सल्लम्मि देहत्ये दक्खिए होतिपाणिणो
जं समयं निष्फिडे सल्लं तक्खणा सोसुही मवे (7५) एवं तित्ययरे सिद्धे साहू-धम्मं विवंचिउं
जमकजं कयं तेणं निसिरिएणंसुही भवे (४५५) पायच्छित्तेणं को तत्थ कारिएणं गुणो मवे
जेणं येवस्स वी देसि दुक्करंदुरनुधरं । (५६) उद्धरिउंगोयमा सानं वण-मंगेजाव नो कये
वण-पिंडीप-बंधंच ताव नो कि परुज्झए (४५७) पावसल्लस्स वण-पिडि पट्ट-भूओइमो मवे
पच्छितो दुक्खरोहं पि पाय-वणं खिपंपरोहए (४५८) भयवं किमनुविजंते सुव्यंते जाणिए इया
सोहेइ सव्य-पायाईपछितेसवण्णु-देसिए (१५९) सुसाउ-सीयले उदगेगोयमाजाव नो पिबे
नरे गिम्हे वियाणते ताव तण्हान उबसमे (१०) एवं जाणितु पच्छित्तं असद-भावे नजा चरे
ताव तस्स तयं पावं वड्दए उनहायए (७) भयवं किंतं वड्डेजा जपमादेणकत्यई
आगयं पूणो आउत्तस्स तेत्तियं निहायए (१६२) गोयमा जह पमाएणं अनिच्छंतोऽवि-डकिए
आउत्तस्सजहा पच्छा विसं यड्दे तह चैव पावगं 393
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