Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अपणं-१, उसो ३ तित्ययरादीणं महती आसायणं कुछ जे णं तिथयरादीणं आसायणं कुद्धा से णं अज्झवसायं पहुचा जाव णं अनंत संसारियत्तणं लभेजा ॥३०॥ (४१३) विप्पतिचित्थियं सम्मं सव्वहा मेहुणं पिय अत्येगे गोयमा पाणी जे नो चयइ परिग्गहं (४१४) जावइयं गोयमा तस्स सच्चित्ताचित्तोयत्तगं भूयं चाणुजीवस्त भवेज्जा उ परिग्पहं (४१५) तावइएणं तु सो पाणी ससंगो मोक्ख- साहणं नाणादि-तिगं न आराहे तम्हा बजे परिग्गहं ( ४१६ ) अत्येगे गोयमा पाणी जे पयहित्ता परिग्गहुँ आरंभं नो विवज्जेज्जा जं चीयं भवपरंपरा (४१७) आरंभे पत्तियस्सेग - वियल जीवस्स वइयरे संघट्टणाइयं कम्मं जं बद्धं गोयमा सुज 1196911 (४१८) एगे बेइंदिए जीवे एगं समयं अनिच्छमाणे बलाभिओगेणं हत्थेण वा पाएण वा अन्नयरेण वा सलागाइ उवगरण-जाएणं जे केइ पाणी अगाढं संघट्टेज्जा वा संघट्टावेज वा संघटिमाणं वा अगाढं परेहिं समणुजाणेज्जा से णं गोयमा जया तं कम्मं उदयं गच्छेजा तया णं महया केसेणं छम्मासेणं वेदेज्जा गाढं दुवालसहिं संवच्छरेहिं तमेव अगाढं परियावेखा वास -सहस्सेणं गाढं दसहिं चास-सहस्सेहिं तमेव अगाढं किलामेज्जा बास-लक्खेणं गाढं दसहिं वासलक्खेहिं अहा उद्दवेजा तओ वास - कोडिए एवं ति चउ-पंर्चिदिएसु दट्ठव्यं ॥ ३१ ॥ ( ४१९ ) सुहुमस्स पुढवि-जीवस्स जत्तेगस्स विराहणं अप्पारंभं तयं बेति गोयमा सव्व- केवली (४२०) सुहुमस्स पुढवि-जीवस्स यावत्ती जत्य संभवे महारंभं तयं बेति गोयमा सव्य- केवली (४२१ ) एवं तु सम्मिलंतेर्हि कम्मुककुरुडेर्हि गोयमा से सोपे अनंतेर्हि जे आरंमे पवत्तए (४२२) आरंमे वट्टमाणस्स बद्ध-पु-निकाइयं कम्पं बद्धं भवे जव्हा तम्हारं विवज्रए (४२३) पुढवाइ- अजीव कार्य ता सव्य-भावेहिं सव्यहा आरंभा जे नियहेज्जा से अइरा जम्म-जरा-मरण सव्व दारिद्द- दुक्खाणं विमुञ्चइ ति (४२४) अत्येगे गोयमा पाणी जे एवं परिबुज्झिउं एगंत-सुह-तलिच्छे न लभे सम्मग्गवत्तणि (४२५) जीवे मग्ग- मोइण्णे घोर- वीरतचं चरे Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अचयंतो इमे पंच कुञ्जा सव्वं निरत्ययं (४२६) कुसीलोसण्ण-पासत्ये सच्छंदे सबले तहा दिट्ठीए वि इमे पंच गोयमा न निरिक्खए For Private And Personal Use Only ।।१५७ ।। 1194611 ।।१५९।। ॥ १६०॥ 1196311 ॥१६३॥ ॥१६४॥ ॥१६५॥ ॥१६६॥ ॥१६७॥ ॥१६८॥ ।।१६९|| ३१

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