Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अापणं-२, मेसो-1 (४०३) एत्यं च गोयमा जइत्यीय भएण वा लजाए वा कुलंकुसेण या जावणं धम्म-सद्धाए या तं वेयर्ण अहियासेडा नो वियप्पं समायोज्जा से पंधनासेणं पुत्रासे यणं वंदा से णं पुझा सेणं दडुब्दा सेणं सव्य-लक्खणा सेणं सब्ब-कलाण-कारया से णं सव्युत्तम-मंगल-निहि से णं सुयदेवता से णं सरस्सती से गं अंबहुंडी से णं अधुया से णं इंदाणी से णं परमपवितुतमा सिद्धी मुत्ती सासया सिवगइत्ति।२३॥ (ror) जपित्यियं तं वेयणं नो अहियासेजा वियम् वा समायरेजा से णं अपना से णं अपुन्ना से णं अवंदा सेणं अपुझा से णं अदष्टच्या से णं अलक्खणा से णं माग-लक्खणा से णं सव्व अमंगल-अकल्लाण-भायणा से णं भट्ठ-सीला से णं मट्ठायारा से णं परिमट्ट-चारित्ता से णं निंदणीया से णं गरहणीया सेणं खिंसणिज्जा से णं कुच्छणिजा सेणं पावा से णं पाया-पाव से णं महापायापावा से णं अपवित्ति त्ति एवं तु गोयमा चडुलताए भीरुत्ताए कायरत्ताए लोलत्ताए उम्मायओ वा दप्पओ वा कंदप्पओ या अणप्प-यसओ वा आउष्टियाए वा जमित्यियं संजमाओ परिमस्सिय दूरखाणे या गामे वा नगरेवा रायहाणीए वा वेस-गाहणं अच्छड्डिय-पुरिसेणं सद्धिं वियम्म समायोज्जा भूओ भूओ पुरिसं कामेश वा रमेज या अहा णं तमेव दोयस्थियं कजं इइ परिकप्पेत्ता णं तमाईवेज्ञातं चैव आईवमाणी पस्सियाणं उम्मायओ वा दप्पओ वा कंदप्पओ वा अणप्पवसओ वा आउट्टियाए वा केइ आयरिए इवा सामण्ण-संजए इया राय-संसिए इवा वाय-लद्धिजुत्ते इवा तवो-तद्धिजुते इ वा जोगचुण्णलद्धिजुत्ते इ वा विण्णाणलद्धिजुत्ते इ वा जुगप्पहाणे इ वा पवयणपमावगेश्वा तमस्यियं अन्नं वारामेझ या कामेज वा अमिलसेज वा मुंजेज वा परिमुंजेज्जा वा जाव णं वियमं वा समायरेजा से णं दुरंत-पंत-लक्खणे आहणे अवंदे अद्धव्ये अपयित्ते अपसत्ये अकल्लाणे अमंगले निदंणिज्जे गरहणिजे खिंसणिज्जे कुच्छणिजे से णं पावे से णं पाव-पावे से णं महापावे-से णं महापाव-पावे से णं भट्ठ-सीले से णं भट्ठायारे से णं निब्मट्ठचारिते महा-पावकम्पकारी जइ णं पायच्छित्तममुढेमा तओ णं मंदरतुंगेणं यइरेणं सरीरेणं उत्तमेणं संघयणेणं उत्तमेणं पोरुसेणं उत्तमेणं सत्तेणं उत्तमेणं तत्त-परिणाणेणं उत्तमेणं पीरियसामत्येणं उत्तमेणं संवेगेणं उत्तमाए धम्म-सखाए उत्तमेणं आउखएणं तं पायच्छित्तमनुचरेडा ते णं तु गोयमा साहणं महागुभागाणं अट्ठारस-परिहार-डाणाइं नव-बंभचेर-गुत्तीओ वागरिजति।४। (४०५) से भयवं किं पच्छित्तेणं सुज्झेजा गोयमा अत्येगे जे णं सुज्झेजा अत्येगे जेणं नो सुल्झेशा से भयवं केणं अष्टेणं एवं बुखाइ जहा णं गोयमा अत्येगे जे णं सुज्झेजा अत्थेगे जे णं नो सुझेझा गोयमा अत्थेगे जेणं नियडी-पहाणे सट-सीले वंक-समायारे से णं ससले आलोइत्ताणं ससलेण चेव पायच्छित्तमनुचरेजा से णं अविसुद्ध-सकलसासए नो सुज्झेशा अत्येगे जे णं उञ्च पद्धर-सरल-सहावे जहा-वत्तं नीसल्लं नीसंकं सुपरिफुई आलोइताणं जहोवइटें चेव पायच्छित्तमनुचिडेजा से णं निम्मल-निक्कलुस-विसुद्धसए वि सुज्झेजा एतेणं अटेणं एवं वुझाइ जहाणं गोयमा अत्येगे जेणं सुझेशा अत्थेगेजेणं नो सुझेआ।२५।। (101) तहाणं गोयमा इत्यीयं नाम पुरिसाणं अहमाणं सव्य-पाव-कम्माणं वसुहारा तमरय-पंक-खाणी सोगइ-मागस्स णं अगला नरयावयारस्स णं समोयरण बत्तणी, अमूमयं विसकंदलि अणग्गियं चलि अमोयणं विसइयं अणामियं वाहिं अवैपणं मुच्छं अणोवसगं मारि अणियलिं गुत्तिं अरज्जुए पासे अहेउए म तहा यणं गोयमा इस्थि-संभोगे पुरिसाणं पणसा यि णं अचिंतणिग्ने अणज्झदसणिजे अपत्थणिजे अनीहणिजे अवियप्पणिजे असंकप्पणिज्ने For Private And Personal Use Only

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