Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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२०
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(२९६) केइ बहुवाहि-रोगाणं दुक्ख-सोगाण भायणं दाद्दि- कलहमभिभूया खििसणिज्जा भवंतिहं ( २९७ ) तक्कम्मोदय-दोसेणं निम्नं पचलिय-बोदिणं ईसा विसाय - जालाहिं धग धग धग धगस्स उ (२९८) जम्मं पि गोयमा वोले- बहु-दुरुसंधुक्कियाण य तेर्सि सदुच्चरिय दोसो कस्स रूसंतु ते इहं (२९९) एवं वय नियम भंगेणं सीलस्स उ खंडणेण वा असंजम पवत्तणया उस्सुत्तुमग्गायरणा (३००) नेगेर्हि वितहायरणेहिं पमाया सेवणेहिं य
मणेणं अहव वायाए अहवा कारण कत्थइ कय-कारिगाऽणुमएहिं पमाय सेचणेण वा
(३०१ ) तिविहेणमनिंदियमगरहियमनालोइयमपडिक्कंतमकथपायच्छित्तमविसुद्धसयंदोसओ ससल्ले आमगढमेसुं पचिय पचिय- अनंतसो वियलंते-दुति-च-पंच-छह मासाणं असंबद्धठीकर - सिर-चरणच्छवी ११।
महानितीहं - २ / ३ / २९६
अदिग्गमण-अत्थमणे भवे पुढवीए गोलया किमी (३०८) भय काय-द्वितीए वेपत्ता तं तेहिं किमियत्तणं कह विलति मयत्तं तओ ते होति नपुंसगे (१०९) अज्झवसाय - विसेसं तं पवते अइकूर-धोर-रोद्दं तु तारिसं वम्मह-संधुक्किया परितुं जम्मं जंति वणस्सई
( ३१०) वणस्सई गए जीवे उड्ढपाए अहोमुहे
चितिऽनंतयं कालं नो लभे बेइंद्रियत्तणं ( ३११) भव-काय-द्वितीए वेइत्ता तमेग-बि-ति-चउरिदियत्तणं
तप्पुव्य- सल- दोसेणं तेरिच्छेसूववजिउं
( ३१२ ) जइ णं भवे महामच्छे पक्खीयसह सीहादयो
अज्झवसाय-विसेसं तं पडुध अच्चंत करयां
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॥ ७१ ॥
॥७२॥
॥७३॥
(३०२) लद्धे वि माणुसे जन्मे कुट्टादी वाहि-संजुए
जीवंते चैव किपिएहिं खज्रंती मच्छियाहि य अनुदियहं खंड-खंडेहिं सडहडस्स सडे त
७६॥
(३०३ ) एवमादी - दुक्खमभिभूए लज्जणिज्जे खिंसणिजे निंदणिजे गरहणिजे उव्वेवणिज्जे अपरि-भोगेनिय- सुहि सयण- बंधवाणंपि भवंती तेदुरप्पणे ॥७७॥ (३०४) अज्झवसाय-विसेसं तं पडुचा केइ तारिसं अकाम-निजराए उ भूय-पिसायत्तं लभते
(३०५) तप्पुव्य सल्ल- दोसेणं बहु भवंतर त्याइणा अज्झवसाय-विसेसं तं पडुखा केई तारिसं (३०६) दससु वि दिसासु उद्धद्धो निच्च दूरप्पिए दढं निरुच्छल्ल- निरुत्सासे निराहारे न पाणिए (३०७ ) संपिंडियंगमंगे य मोह-मदिराए धम्मरिए
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।।७५।।
७८
।।७९ ॥
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॥८२॥
॥८३॥
॥८४॥
॥८५॥
॥८६॥

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