Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अझयणं-२, उद्देसो-३ www.kobatirth.org ( ३१३) कुणिममाहारत्ताए पंचेदियवहेणं य अहो अहो पविस्संति जाव पुढवीउ सत्तमा (३१४) तं तारिसं महाघोरं दुक्खमनुभवितुं चिरं पुणो वि क्रूर तिरिए उववज्जिय नरयं यए (२१५) एवं नरय- तिरिच्छेसुं परियकृते विचिट्ठति Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बासकोडिए चिनो सक्का कहिउं जं तं दुक्खं अनुभवमाणगे ॥ ८९ ॥ ॥८७॥ (३१६ ) अह खरुट्ट- बइल्लेसुं भवेज्जा तदभवंतरे सगडायढण-भरुव्वहण-खु-तण्ह-सीयायवं (३१७) वह चंधणंकणं डहणं नास-भेद-निलंछणं जमलाराईहिं कुचादिहिं कुत्रिजंताण य जहा राई तहा दियहं सव्वद्धा उ सुदारुणं ॥९२॥ ( ३१८) एमादी- दुक्ख संघट्टं अनुवंति चिरेण उ पाणे पयहिंति कह कह वि अट्टज्झाण- दुहड्डिए ( ३१९ ) अज्झवसाय - विसेसं तं पडुचा केइ कह कह वि लब्धंती माणुसत्तणं तप्पुव्व- सल्ल-दोसेणं माणुसते वि आगया ॥९३॥ (३२०) भवंति जन्म - दारिद्दा- वाही- खस-पाम परिगया एवं अदिट्ठ-कल्लाणे सव्व जणस्स सिरि-हाइउं (३२१) संतप्पंते दढं मणसा अकयत्तवे गिहणं यह अज्झवसाय - विसेसं तं पडुच्चा केइ तारिसं (३२२) पुणो वि पुढविमाईसुं भमंती ते दु-ति-चउरो पंचिदिएसु या तं तारिसं महा-दुक्खं सुरोद्दं घोर-दारुणं (३२३) चउगइ- संसार- कंतारे - अनुहमाणे सुसहं ( ३२५) अज्झवसाय-विसेसं तं पडुखा केई तारिसं पोग्गल - परियट्टलक्खेसुं बोहि कह कह वि पावए (३२६) एवं सुदुल्लाहं बोर्हि सव्य-दुक्ख खयं करं लणं जे पाएजा तयहुत्तं सौ पुणो वए (३२७) तासुं तासुं च जोणीसुं पुव्युत्तेण कमेण उ पंथेणं तेणई चैव दुक्खे ते चैव अनुभवे ( ३२८ ) एवं भव-काय द्वितीए सव्व - भावेहिं पोग्गले सव्वे सपाचे लोए सव्व वष्णंतरेहि य (१२९) गंधत्ताए रसत्ताए फासत्ताए संठाणत्ताए परिणामित्ता सरीरेणं बोर्हि पावेज वा न वा 116411 For Private And Personal Use Only ॥९०॥ ॥९१॥ ॥९४॥ ॥९५॥ काय - द्वितीए हिंडते सव्वजोणीसु गोयमा ॥९७॥ (३२४) चिट्ठति संसरेमाणे जम्म- जर भरण- बहु वाहि वेयणा-रोग-सोग- दारिद्द - कलहभक्खाणं-संताव-गय्मवासादि- दुक्खसंधुक्किए तप्पुव्वसल्ल-दोसेणं निचाणंद- महूसव- धाम - जोग - अट्ठारस - सीलंग- सहस्सा हिडियरस सव्वासुह-पावकम्मट्ठ- रासि निद्दहण अहिंसा - लक्खणसमण धम्मस्स बोहिं नो पार्श्विति ॥२॥ ॥९६॥ ॥९८॥ ॥९९॥ ||१००|| ||१०१ ॥ २१ 1190211

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