Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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महानिसीएं - २/३/३८७
जुयले भवेज्जा जाव णं रागारुणे य नयनजुयले मवेज्जा ताव णं रागंधत्ताए न गणेज्जा सुमहंत-गुरुदोसे वयभंगे न गणेज्जा सुमहंत-गुरु दोसे नियम-मंगे न गणेशा सुमहंत घोर-पाव-कम्म समायरणं सील-खंडणं न गणेज्जा सुमहंत सव्व-गुरु- पाव- कम्प- समायरणं संजमविराहणं न गणेजा घोरंघयारं परलोग - दुक्खभयं न गणेज्जा आयई न गणेज्जा सकष्म-गुणद्वाणगं न गणेज्जा ससुरासुरस्सा विणं जगस्त अलंघणि आणं, न गणेशा अनंतहुत्तो चुलसीइजोगिलक्ख परिवत्त-गम-परंपरं अद्धणिसिद्ध-सोक्खं चउगइ-संसार दुक्खं न पासिज्जा जं पासणिज्जं न पासिज्जा जं अपासणिज्जं सव्व जण-समूह-मज्झ-सत्रिविद्वुट्ठियाणिवण्णचक्कमिय-निरिक्खिमाणी वा दिप्पंतकिरण- जाल- दस-दीसी पयासिय-तवंत - तेयरासी- सूरिए वि तहा वि णं पासेज्जा सुण्णंघयारे सव्वे दिसा भाए जाव णं रागंधताए न गणेज्जा सुमहल्लागुरु-दोसे-वय-भंगे नियम भंगे सील- खंडणे संजम - विराह पर लोग भए- आणा मंगाइक्कमे अनंत संसार भए पासेना अपासणि सव्वजण-पवड- दिणयरे विणं मन्निजा णं सुण्णंधयारे सव्वे दिसा भाए [ जाव णं मये न गणेजा सुमहलगुरुदोसे वय-मंगे सील-खंडणिजा ] ताव णं भवेज्जा अनंत निब्मट्ठ- सोहग्गाइसए विच्छाए रागारुण - पंडुरे दुदंसणिजे अणिरिक्खणिजे वयण-कमले पवेज्जा जाव णं अश्चंत निम्भट्ठसोहणाइसए विच्छाए रागारुण पंडुरे दुद्दसणिजे अणिरिक्खणिजे वयण-कमले भवेज्जा ताव णं फुरुफुरेखा सणियं सणियं धोंद-पुड-नियंब-वच्छोरुह-बाहुलाइ उरु- कंठ-पएसे जाव णं फुरफुरेति बोंद-पुड़-नियंब-बच्छोरुह-बाहुलइ - उरु- कंठप्पएसे ताव णं मोट्टायमाणी अंगपालियहिं निरुवल चा सोवलक्खे वा भंजेज्जा सव्यंगोवंगे जाव णं मोट्टायमाणी अंगपालियाहिं मंजेज्जा सव्वगोवंगे ताव णं मयणसरसन्निवाएणं जज्जरियसंभिन्ने सव्वरोम- कूवे तणू भवेज्जा जाव णं मयणसर- सन्निवाएणं विद्धसिए बोंदी भवेचा ताव णं तहा परिणमेज्जा तणू जहा णं मणगं पयलंति धातूओ जाव णं मणगं पयलंति धातूओ ताव णं अवत्यं याहिअंति पोग्गल-नियंबोरुबाहुलइयाओ जाव णं अश्चत्यं वाहिलइ नियंबो ताव णं दुक्खेणं धरेा गत्त-जट्ठि जाव णं दुक्खेणं धरेज्जा गत्त-यट्ठि ताव णं से नोवलक्खेजा अत्तीयं सरीरावत्यं जाव णं नोवलक्खेजा अत्तीयं सरीरावत्यं ताव णं दुवालसेहिं समएहिं दर-निच्चेटुं भवे बोंदी जाव णं दुबालसेहिं दर-निच्चेट्टं भवे खोंदी ताव णं पडिखलेज्जा से ऊसासा-नीसासे जाव णं पडिखलेना ऊसासा- नीसासे ताव णं मंदं मंदं ऊससेज्जा मंदं मंदं नीससेज्जा जाव णं एयाई एत्तियाई भावंतरं अवत्यतराई विहारेञ्जा ताव णं जहा गहग्घत्थे केइ पुरिसे इ या इत्थि इ वा विसुंठुलाए पिसायाए भारतीए असंबद्धं संलयियं विसंखुलंतं अव्यत्तं उल्लवेज्जा एवं सिया णं इत्वीयं विसामावत्त- मोहण-मम्मणुल्लावेणं पुरिसे दिट्ठ-पुव्वे इ वा अदि पुव्वे इ वा कंतरूवे इ वा अंकतरूवे इ वा गद्य जोव्वणे इ वा पडुप्पण्ण-जोचणे इ वा महासत्ते इवा हीनसत्ते इ वा सप्पुरिसे इ वा कापुरिसे इ वा इड्ढिमंते इ वा अणिड्ढिमंते इ वा विसयाउरे इ वा निव्विण्णकामभोगे इ बा समणे इ वा माहणे इ वा जाव णं अन्नयरे वा केई निंदियाहम-हीणजाईए इ या अज्झत्येणं ससज्झसेणं आमंतेमाणी उल्लावेजा जाव णं संखेज-भेदभित्रेणं सरागेणं सरेण दिट्ठीए इ वा पुरिसे उल्लावेजा निज्झाएज वा ताव णं जं तं असंखेखाई अवसप्पिणीओसप्पिणी-कोडी-लक्खाई दोसुं नरय- तिरिच्छासुं गतीसुं उक्कोस- द्वितीयं कम्पं आसंकलिय आसिओ तं निबंधेजा नो णं बद्ध-पुढं करेजा से वि णं जं समयं पुरिसस्स णं सरिरावयदफरिसणाभिमुखं भवेज्जानो णं फरिसेज्जा तं समयं चैव तं कम्म - -ठिई बद्ध-पुठ करेजा नो णं बद्ध-पुट्ठ
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