Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजयप ॥९॥ ||१०|| ॥१॥ ।।१२।। ||१३|| 1॥१४॥ ||१५॥ ॥१६॥ (१२) आया सयमेव अत्ताणं निउणंजाणे जहष्ठियं आया चेव दुपत्तिजे धम्मपविय अत्त-सक्खियं (१३) जंजस्साणुमयं हियए सो तंठावेइ सुंदर-पएसु सहूली निय तणए तारिसकूरे वि मन्नइ यिसिष्टे (१४) अतत्तीया समेधा सयल-पाणिणो कप्पयंतऽप्पणप्पं दुटुं वइ-काय-चेहूँ मणसिय-कलुसंगँजयंतेचरंते निद्दोसंतं च सिढे वयगय-कलुसे परखवायं विमुद्या विक्खंतऽचतपावे कलुसिय-हिययं दोस-जालेहि नद्धं (१५) परमत्य-तत्त-सिटुं सब्यूयस्थ पसाहगं तभणियाणहाणेणंजे आया रंजएसके तेसुतमंपवेधम्मं उत्तमा तव संपया उत्तमं सील-चारितं उत्तमाय गती पवे (१७) अत्येगे गोयम पाणी जे एरिसमवि कोडिंगते ससल्ले चरती धम्मं आयहियं नाव बुज्झइ (12) ससलो जइ वि कटुगंधोर-धीर-तवं चरे दिव्वं याससहस्सं पिततो वी तं तस्स निष्फलं (१९) सालं पि पन्नई पावं नालोइय-निंदियं नगरहियं न पच्छित्तं कयं जंजह य भाणियं (२०) माया-डंभमकतब्बं महापच्छन्न-पावया अयन-मनायारंच सल्लं कम्मट्ठ-संगहो (२१) असंजम-अहम्मंच निस्सील-व्यतता विय सकुलसत्तमसुद्धी य सुकयनासो तहेवय (२२) दुग्गड़-गमण मणुतारं दुक्खे सारीर-माणसे अब्बोच्छिन्नेय संसारे विगोषणयामहतिया (२३) कैसं विरूव-रूवतं दारिद-दोहग्गया हाहा-भूयसवेयणया परिभूयं च जीवियं (२४) निग्धिण-निर्तिस-करतं निद्दय-निकिकवयाविय निलज-गूटहियत्तं वंक-विवरीय-चित्तया रागो दोसो य मोहोय मिच्छत्तंघण-चिक्कणं समणनासो तह य एगे उजस्सित्तमेव य आणा-पंगमबोही पससालत्ता पमये मवे एमादी पाव-सल्लस्स नामे एगद्विए बहू (२७) जेणं सल्लिय-हिययस्स एगस्सी बहू-भवंतरे सव्वंगोवंग-संधीओ पसल्लंती पुणो पुणो (२८) से यदुविहे समक्खए सल्ले सुहुमे य बायो एक्केक्के तिविहे नेए घोरु गुग्गतरे तहा ॥१७॥ ॥१८॥ ॥१९॥ ॥२०॥ ॥२१॥ ॥२२॥ (२६) ॥२३॥ ॥२४॥ ॥२५॥ For Private And Personal Use Only


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