Book Title: Agam 39 Mahanisiha Chheysutt 06 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अप-१ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१७८) मया वि जंति पायाले निय-दुधरियं कर्हिति नो जे पावाहम्म- बुद्धिया काउरिसा एगजम्मिणो ते गोवंति स दुधरियं नो सप्पुरिसा महामती (१७९) सप्युरिसा ते न दुखंति जे दानव इह दुखणे सप्पुरिसा णं चरिते मणिया जे सिल्ला तवे श्या (१८०) आया अनिच्छमाणो वि पाव- सल्लेहिं गोयमा निमिसद्धानंत-गुणिएहिं पूरिजे निय-दुक्किया (१८१) ताइं च झाण- सज्झाय- घोर-तव-संजमेण य निर्द्दमेण अपाएणं तक्खणं जो समुद्धरे (१८२) आलोएत्ताण नीसल्लं निंदिउं गरहिउं दर्द तह चरती पायच्छितं जह सल्लाणमंत करे (१८३ ) अण्ण-जभ्म पहुत्ताणं खेत्ती-भूयाणवी दढं निमिसद्ध-खण-मुहुत्तेणं आजम्मे नेव निच्छिओ (१८४) सो सुहडो सोय सप्पुरिसो सो तवस्सी स-पंडिओ खंतो दंतो विमुत्तो य सहलं तस्सेय जीवियं (१८५) सूरो य सो सलाहो व दट्ठव्वो य खणे खणे जो सुखालोयणं देंतो निय- दुच्ारियं कहे फुडं (१८६) अत्येगे गोयमा पाणी जे सलं अद्धउद्धियं माया -लज्जा भया मोहा झलकारा - हियए धरे (१८७) तं तस्स गुरुतरं दुक्कं हीन -सत्तरस संजणे से चिंते अन्नाण- दोसाओ नोद्धरं दुक्खखिहं किल (१८८) एग-धारो दु-धारो वा लोह सल्लो अनुद्धिओ सल्लेगच्छाम जम्मेगं अहया संसी भवे इमो (१८९) पाव - सल्लो पुणासंख-तिक्ख-धारो सुदारुणी बहु- भवंतर सव्यंगे भिंदे कुलिसो गिरि जहा (१९०) अत्येगे गोयमा पाणी जे भव-सय-साहस्सिए सज्झाय झाण- जोगेणं घोर-तव-संजमेण य (१११) सल्लाई उद्धोऊणं चिरयाला दुक्ख-केसओ पमाया बिउण-तिउणेहिं पूरिांती पुणो विय ( १९२) जम्मंतरेसु बहुए तवसा निद्दड्ढ कम्पुणी समुद्धरणस्स सामत्यं भवती कह वि जंतुणो ( १९३) तं सामगि लभित्ताणं जे पमाय- वसंगए ते मुसिए सव्व-भावेणं कल्लाणाणं भवे भवे ( १९४) अत्येगे गोयमा पाणी जे पमाय- वसं गए चरते घी तवं घोरं ससलं गोवेति सव्वहा ( १९५) नेयं तत्य वियाणंति जहा किमभ्हेहिं गोवियं जं पंच- लोगपालप्पा-पंचेदियाणं च न गोवियं For Private And Personal Use Only ।।१७२ ॥ १२१७३॥ ॥१७४॥। ।।१७५।। ॥१७६॥ 1190911 1199211 ११७९॥ 119 2011 1192913 ॥१८२॥ ॥१८३॥ ॥१८३॥ ||१८४|| ३१८५।। ११८६ | ||१८७।। 1192211 १३

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