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नंदी
सन्मति के टीकाकार अभयदेव सूरि (विक्रम की ग्यारहवीं शताब्दी) ने तीनों वादों के प्रवक्ताओं के नामों का उल्लेख किया है'
क्रमवाद के प्रवक्ता - जिनभद्र ।
युगपत्वाद के प्रवक्ता - मल्लवादी ।
अभेदवाद के प्रवक्ता - सिद्धसेन ।
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क्रमवाद के विषय में हरिभद्र और अभयदेव एकमत हैं। युगपत्वाद और अभेदवाद के बारे में दोनों के मत भिन्न हैं । सिद्धसेन अभेदवाद के प्रवक्ता हैं, यह सन्मति तर्क से स्पष्ट है । उन्हें युगपत्वाद का प्रवक्ता नहीं माना जा सकता। इस स्थिति में युगपत्वाद के प्रवक्ता के रूप में मल्लवादी का नामोल्लेख संगत हो सकता है । उपलब्ध द्वादशार नयचक्र में इस विषय का कोई उल्लेख नहीं है । अभयदेव ने किस ग्रन्थ के आधार पर इसका उल्लेख किया, यह निश्चय पूर्वक नहीं कहा जा सकता । उपाध्याय यशोविजयजी ने तीनों वादों की समीक्षा की है और नय दृष्टि से उनके समन्वय का प्रयत्न किया है ।
१. सन्मति प्रकरण टीका,
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पृ. ६०८
२. ज्ञान बिन्दुप्रकरणम्, पृ. ३३-४३
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