Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 257
________________ २३२ नंदी ८३ ग्रंथ १८४४ १८४ दुगुण पर्वत ३२ ग्रंथ दह जलाशय दिट्ठिवाओवएस संज्ञिश्रुत का भेद दिट्टिवाय ६५,७२,८०,९२, १२३ दिवस समय का प्रकार दिवसंत समय का प्रकार दीव जनपद ग्राम गा. २७, १८६, २५ दीवसागरपण्णत्ति ग्रंथ दृष्टिवाद परिच्छेद ९४-१०० दुप्पडिग्गह दृष्टिवाद परिच्छेद १०२ दुयावत्त दृष्टिवाद परिच्छेद १०२ दुवालसंग ग्रंथ १२४-१२६ दुव्वियड्ढा परिषद् दुसमयसिद्ध केवलज्ञान का भेद दूसगणि श्रुतधर आचार्य गा. ४१ देविदत्थय ग्रंथ ७७ देविंदोववाय ग्रंथ ७७ धणदत्त व्यक्ति ३८।११ मान का प्रकार धम्म तीर्थंकर गा. १९ धरणा धारणा का पर्यायवाची ४९ धरणोववाय ग्रंथ धातु धातु व रत्न गा.१४ धारणा मतिज्ञान का भेद नई जलाशय नंदनवन उद्यान गा. १३ नंदावत्त दृष्टिवाद परिच्छेद ९४-१००,१०२ नंदिलखमण श्रुतधर आचार्य गा. २९ नंदिसेण व्यक्ति ३८।११ नंदी ग्रंथ नपुंसलिंगसिद्ध केवलज्ञान का भेद ३१ नमि तीर्थंकर गा. १९ नगर जनपद ग्राम गा. ३३ नाइल वंश गा. ३८ नाग देव नागज्जुणरिसि श्रुतधर आचार्य गा. ३९ नागज्जुणवायय श्रुतधर आचार्य गा. ३६ नागपरियावणिया ग्रंथ नागसुहुम लौकिक ग्रंथ धणु जिभिदियअवाय मतिज्ञान का भेद जिभिदियईहा मतिज्ञान का भेद जिभिदियधारणा मतिज्ञान का भेद जिभिदियपच्चक्ख ज्ञान जिभिदियवंजणुग्गह मतिज्ञान का भेद जीवाभिगम ग्रंथ (जीवजीवाभिगम) जया मान का प्रकार जोइ अग्नि १२-१५ जोइट्ठाण अग्नि जोइस ग्रह २५ भरग गा.२८ झाणविभत्ति ग्रंथ टंक ठवणा धारणा का पर्यायवाची ४९ ठाण ग्रंथ ६५,८०,८३ डोय शिल्पी व व्यवसायी ३८९ णयर जनपद ग्राम गा. ४ णागज्जुणारिय श्रुतधर आचार्य गा. ३५ तंदुलवेया लिय ওও तिगनइय दृष्टिवाद परिच्छेद १०३ तिगुण दृष्टिवाद परिच्छेद ९४-१०० तित्थंकर पद गा. २२ तित्थयर गा. २५,३३ सू. ७९,१२१ तित्थयरसिद्ध केवलज्ञान का भेद ३१ तित्थसिद्ध केवलज्ञान का भेद तिसमयसिद्ध केवलज्ञान का भेद ३२ तुंगिय गोत्र गा. २४ वाहन व वाहन के गा. ५ उपकरण तुण्णाग शिल्पी व व्यवसायी ३८९ तुरय प्राणी वर्ग गा.६ तेरासिय अन्यतीर्थिक १०१,१०३ थभ गृह ३८।१३ थूलभद्द श्रुतधर आचार्य गा. २४, सू. ३८।१२ दससमयसिद्ध केवलज्ञान का भेद ३२ दसवेयालिय ग्रंथ ७७ दसा ग्रंथ दसार राजा प्रकार १२१ १.धर्मध्यानं ध्यायतीति ध्याता । २० ७८ तुंब ७७ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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