Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 259
________________ २३४ पाहुड पाहुडपाहुड पापाडिया पाहुडिया पियर पियामह पुसेगियापरिकम्म पुट्ठापुट्ठ पुट्ठावत्त पुत्त पुण्फपूलिया पुप्फदंत पुफिया पुरओ पुराण पुव्व पुध्वगव पुरिसलिंगसिद्ध पूइय पोरिसिमंडल पोसहोववास भक बलदेव बहुभंगिय बहुल बहुल बिराली बुद्धमोहिमसिद्ध बुद्धवयण बुद्धि मंगी' भणक दृष्टिवाद परिषद दृष्टिवाद परिच्छेद दृष्टिवाद परिच्छेद दृष्टिवाद परिच्छेद पारिवारिक सदस्य पारिवारिक सदस्य गा. १ दृष्टिवाद परि दृष्टिवाद परिच्छेद दृष्टिवाद परिच्छेद पारिवारिक सदस्य Jain Education International ग्रंथ तीर्थंकर ग्रंथ फासिदित्युग्म फासिदिपश्रवाय मतिज्ञान का भेद फासिदिपहा मतिज्ञान का भेद फासिदिवधारणा मतिज्ञान का भेद फासिदिषयवस् ज्ञान फासिदियलद्धिअक्खर अक्षर श्रुत का भेद फासिदिजगह मतिज्ञान का भेद शाखा राजा का प्रकार दृष्टिवाद परिच्छेद अवधिज्ञान का भेद लौकिक ग्रंथ दृष्टिवाद परिच्छेद दृष्टिवाद परिच्छेद केवलज्ञान का भेद शिल्पी व व्यवसायी ग्रंथ धार्मिक क्रिया मतिज्ञान का भेद श्रुतधर आचार्य दृष्टिवाद परिच्छेद प्राणी वर्ग केवलज्ञान का भेद लौकिक ग्रंथ अवाय का पर्यायवाची ग्रंथ आचार्य विशेषण १२३ १२३ १२३ १२३ ८६-८९,९१ ९३,९६ १०२ ९६ ३८।३ ७९ गा. १८ ७९ ११,१२,१६ ६७ गा. ३५, सू. १२२,१२३ ९२,१०४,११९ ३१ ३८१९ ७७ ८७ ४२ ४६ ४४ ४८ ५९ ४१ गा. ३२ १२१ १०२ गा. २५ १०२ गा. ४४ ३१ ६७ ४७ गा. ३ गा. २८ १. मङ्गिका चतुर्भङ्गका था। २. कालिकादिसूत्रार्थं भणतीतिः मणः, स एव प्राकृतशैल्या भणकः । भद्द बाहु भरह भरह भवत्थ केवलनाण भवन भवपच्चइय भारह भूयदिण्ण भेरी मइ मइ मइअण्णाण मइंद मइनाण मंडलपवेस मंडिय मंदरगिरि मगर मग्गओ मग्गणया मग्गणा मज्भगय मणपज्जवनाण मणपज्जवनाण पच्चक्ख मणि मणयलोय मस्स मणुस्स सेणिया परिकम्म मणुस्सावत्त मत्थय मय मरणविभत्ति मल्लग मल्लि मसग महाकप्पसुय महागिरि महानिसीह For Private & Personal Use Only श्रुतधर आचार्य जनपद ग्राम व्यक्ति केवलज्ञान का भेद गृह अवधिज्ञान का भेद लौकिक पंच श्रुतधर आचार्य वाद्य अज्ञान प्राणी वर्ग ज्ञान ग्रंथ ज्ञान ३५, ३६ मतिज्ञान का पर्यायवाची ५४.६ ३६ गा. १४ ३६ ७७ गा. २१ गा. १७ प्राणीवर्ग अवधिज्ञान का भेद गा. ११ ११,१२,१६ ईहा का पर्यायवाची ४५ मतिज्ञान का पर्यायवाची ५४।६,६२ अवधिज्ञान का भेद १०, १५, १६ २,२३,२५ ६ गणधर पर्वत ज्ञान ज्ञान धातु व रत्न जनपद ग्राम जनपद ग्राम दृष्टिबाद परिछेद दृष्टिवाद परिच्छेद शरीरांग प्राणी वर्ग ग्रंथ गृह उपकरण तीर्थंकर प्राणी वर्ग ग्रंथ श्रुतधर आचार्य ग्रंथ गा. २४,१२१ १८५, ६९ ३८/३ २६, २७ गा. ४ ७,२२।१ ६७ गा. ३९ गा. ४४ १२-१५,३८१३ १८/५ २५।१ नंदी ९३,९५ ९५ १५ गा. ९ ७७ ५३ गा. १९ गा. ४४ ७७ गा. २५ ७८ www.jainelibrary.org

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