Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Nandi Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 260
________________ परिशिष्ट ४ : विशेषनामानुक्रम-देशीशब्द २३५ पूर्व रूढ लद्धिक्खर लिक्खा लेह लोकबिंदुसार लोगायय लोहिच्च वइर वइर वइसेसिय वंजणक्खर वंजणुग्गह वंदणय गोत्र वग्ग महापच्चक्खाण ग्रंथ महापण्णवणा ग्रंथ महाविदेह जनपद ग्राम महावीर तीर्थंकर गा. २ महिल्लियाविमाण- ग्रंथ विभत्ति महिस प्राणी वर्ग गा.४४ महुअरी प्राणी वर्ग गा. ८ माउगापय दृष्टिवाद परिच्छेद ९४,९५ माढर गा. २४ माढर लौकिक ग्रंथ मास समय का प्रकार १८.५ मिच्छसुय श्रुतज्ञान का भेद ५५,६७ मुणिवर पद गा.१४,१६ मुणिसुव्वय तीर्थकर गा. १९ मुत्ति शिल्पी व व्यवसायी ३८।९ मुह शरीरांग गा. ९ आभूषण ३८।४ खाद्य गा. ३१ मुहुत्तेत समय का प्रकार १०१४ मुहुत्तमद्ध समय का प्रकार ५४।३ मूलपढमाणुओग दृष्टिवाद परिच्छेद ११९,१२० मेयज्ज गणधर गा. २१ प्राणी वर्ग गा. ४४ मेहलाग आभूषण गा.१२ अवग्रह का पर्यायवाची ४३ मोर प्राणी वर्ग गा. १५ मोरियपुत्त गणधर गा. २१ रयण धातु व रत्न गा. ४,७,१२,१४, वनस्पति गा.८ अक्षरश्रुत का भेद ५६,५९ मान का प्रकार २० लौकिक ग्रन्थ ३८१६ १०४,११८ लौकिक ग्रंथ श्रुतधर आचार्य गा. ४० धातु व रत्न गा. १२ श्रुतधर आचार्य ३८.१२ लौकिक ग्रंथ अक्षरश्रुत का भेद मतिज्ञान का भेद ४०,४१,५१ ग्रन्थ परिच्छेद ग्रन्थ परिच्छेद ८८,८९ ग्रंथ परिच्छेद ७८ गोत्र गा. २३ शिल्पी व व्यवसायी ३९।९ अवधिज्ञान का भेद ९,१८ उद्यान उद्यान ३८॥३,८६-८९,९१ ग्रंथ दृष्टिवाद परिच्छेद १०२ दृष्टिवाद परिच्छेद १०५-११८,११८। १,२,१२३ तीर्थकर गा. १९ तीर्थंकर ग्रंथ मुद्दिया मुद्दीया वग्गचूलिया वच्छ वढइ वड्ढमाणय वण वणसंड बण्हिदसा वत्तमाणुप्पय वत्थु मेस मेहा वद्धमाण वद्धमाणसामि वरुणोववाय ववहार ग्रंथ वसभ वाउभूइ गा. १८ गा. २० गा. ३० रयणि वागरण' प्राणी वर्ग गणधर ग्रंथ लौकिक ग्रंथ व्याख्यानाचार्य पद २० ५९ गा. ६ वागरण पद मान का प्रकार रसणिदियलद्धिक्खर अक्षरश्रुत का भेद रह वाहन व वाहन के उपकरण रामायण लौकिक ग्रन्थ राजा का प्रकार रायपसेणि (णइ) य ग्रन्थ रासिबद्ध दृष्टिवाद परिच्छेद राहु ग्रह वनस्पति रुयग जनपद ग्राम राय ३८।११,८६-८९,९१ ७० वायग वायगत्तण वायगपय वायगवंश वायणा वालग्ग वास वासुदेव वासुपुज्ज वंश ग्रंथ परिच्छेद मान का प्रकार समय का प्रकार राजा का प्रकार तीर्थंकर गा. ३२ गा. ३६ गा. ३२ गा. ३०,३१ ८१-९१,१२३ २० १८५,२३ गा. ९ ३८।३,७ रुक्ख १८.५ गा.१९ १. व्याकरण-प्रश्नव्याकरणं शब्दप्राभूतं वा । Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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