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प्र० ५, सू० ७८, टि० २
जह
मलयगिरि ने प्रस्तुत ग्रन्थ की वृत्ति में दो गाथाएं उद्धृत की हैं। उनमें उल्लेख है कि श्यामाचार्य वाचक वंश के तेवीसवें वाचक थे। उनका पूर्वश्रुत बहुत समृद्ध था। माथुरी वाचना के अनुसार श्यामाचार्य का स्थान तेरहवां है।" तपागच्छ पट्टावली अनुसार श्यामाचार्य का स्वर्गवास भगवान् महावीर से ३७६ वर्ष बाद हुआ था।
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की है।
९. महाप्रज्ञापना
इन तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि श्यामाचार्य सुधर्मा के पश्चात् तेरहवें वाचक थे । वृत्ति में उद्भुत गाथा में तेवीसवां वाचक बतलाया गया है। यह किसी अन्य अनुश्रुति के आधार पर लिखा गया प्रतीत होता है । इसे प्रामाणिक नहीं माना जा सकता ।
जयाचार्य का अभिमत है कि श्यामाचार्य ने प्रज्ञापना की रचना किसी बड़े ग्रन्थ के लघु संस्करण के रूप में
चूर्णिकार के अनुसार इसमें प्रज्ञापनीय विषय विस्तार से बतलाए गए हैं।" यह सम्प्रति अनुपलब्ध है।
१०. प्रमादाप्रमाद
चूर्णिकार के अनुसार इसमें प्रमाद, अप्रमाद का वर्णन किया गया है।' यह सम्प्रति उपलब्ध नहीं है । ११. नंदी
प्रस्तुत आगम । विशेष विवरण के लिए देखें भूमिका ||
१२. अनुयोगद्वार -
अामिषं पितं, सुपरमं विद्विवाणीसंबं वष्णियं भगवया, अहमवि तह वण्णइस्सामि ॥
यह आरक्षित द्वारा रचित है। विशेष विवरण के लिए देखें 'अणुभवबारा' की भूमिका
१३. देवेन्द्रस्तव
इस अध्ययन में देवेन्द्रों की स्थिति, भवन, विमान, नगर, उच्छ्वास- निःश्वास आदि का वर्णन है ।
१६. सूर्य प्रज्ञप्ति -
१४. लचारिक
इस अध्ययन में गर्भ, मानव शरीर रचना, उसकी शत वर्ष की आयु के दस विभाग, उनमें होने वाली शारीरिक स्थितियां, उसके आहार आदि मानव जीवन के विविध पक्षों पर विमर्श किया गया है ।
१५. चन्द्रवेध्यक—
इस अध्ययन में विनय गुण, आचार्य गुण, शिष्य गुण, ज्ञान गुण, चारित्र गुण आदि विषयों पर विस्तार से विवेचन है।
इसमें सूर्य की चर्या का प्रज्ञापन है। इसमें प्रहर के कालमान का निरूपण है।
१७. पौरुषीमंडल -
इस अध्ययन में एक प्रहर के कालमान का प्रतिपादन है ।
१८. मण्डल प्रवेश -
इस अध्ययन में चन्द्र और सूर्य के एक मण्डल से दूसरे मण्डल में प्रवेश का वर्णन है । यह सम्प्रति उपलब्ध नहीं है ।
१५६
१. प्रज्ञापना, मलयगिरीया वृत्ति, प. ५ २.धसंग्रह भूमिका. २९ ३. पट्टावलि समुच्चय, पृ. ४६ ४. प्रश्नोत्तर तत्व बोध, पृ. ८२, ८३
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५. नन्दी चूर्ण, पृ. ५८
६. वही, पृ. ५८
७. वही, सूरचरितं पण्णविज्जते जत्थ सा सूरपण्णति ।
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