Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 481
________________ प्रकाशिकाटीका द्वि० वक्षस्कार सू.० ५४ षष्ठारकस्वरूपनिरूपणम् ४६९ विषमनेत्रकुटिलनासिका युक्ता इत्यर्थः, तथा-(वंकवलीविगयभेसणमुहा) वक्रवली विकृतभीषणमुखाः-वक्रं -कुटिलं वली विकृत-वलीविकारयुक्तम् अतएव भीषणं भयानकं मुखं यषां ते तथा-कुटिलत्वेन रेखा विकारोपगतत्वेन च भयानकमुखयुक्ताः, (दकिटिभ-सिब्भ फुडिअफरुसच्छबी) दद्र-किटिभ-सिध्म-स्फुटित-परुष- च्छवयः दद्र किटिसिध्मानि कुष्ठभेदाः, तैः स्फुटिता परुषा कठोरा च छवि: शरीरचर्म-येषां ते तथा-दकिटिभसिध्मेति रोगत्रयजनित स्फुटितकठोरशरीरचर्मधारिण इत्यर्थः, अतएव(चित्तलंगमंगा)चित्रलाङ्गाङ्गाः-चित्रलानि कर्बुराणि अङ्गानि अवयवा यस्मिस्तादृशम् अङ्गं शरीरं येषां ते तथाकङ्घरवर्णावयवयुक्तशरीरा इत्यर्थः, तथा (कच्छूखसरा भिभूया) कच्छू खसराभिभूताः-कच्छूः पामा, खसरः कण्डुरोगविशेषः, ताभ्याम् अभिभूताः व्याप्ताः, अतएव (खर-तिक्ख-णक्ख कंडूइय विकय-तणू)खरतीक्ष्णनखकण्डूयितविकृतत नवः खराः कर्कशाः तीक्ष्णाः निशिताः ये नखाम्तैर्यत् कण्डूयित कण्डूयनं तेन विकृता विकारमुपगता सत्रणा तनुः शरीरं येषां ते तथाभूताः कर्कश निशितनखकण्डूयनजनितव्रणयुक्तशरोरा इत्यर्थः तथा-(टीलगतिविसमसंधिबंधणा)टोलगतिविषमसन्धिबन्धनाः-टोला:-जन्तुविशेषाः, देशीयोऽयं शब्दः, तेषां गतिरिव गतिर्येषां ते तथा उष्ट्रादिजन्तुगतिसदृशगतियुक्ताः, तथा-विषमाणि-वैषम्यमुपगतानि असमानि सन्धिवन्धनानि सन्धिरूपाणि बन्धनानि येषां ते तथा, पदद्वयस्य कर्मधारयः तथा-(उपकुडुअद्विअविभत्तदुब्बलकुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिा) उत्कुटुकास्थिकविभतदुर्वलकुसंहननकुप्रमाणकुसंस्थिताः-उत्कुटुकानि यथास्थान स्थितिरहितानि यानि अस्थिकुटिल होने से इन का मुख देखने में भयङ्कर होगा (दददुकिटिभसिब्भफुडिअ परुसच्छवी) इनके शरीर का चमड़ा दाद, किटिभ-खाज, सिध्म-सेहुआ इन चर्मविकारों से भरा हुआ होगा अतएव वह बहुत हो अधिक कठोर होगा, और इसी कारण उसके शरीर का हरएक अवयव चित्रलकर्बुर होगा (कच्छू स्वसराभिभूया)कच्छु पामा और खसर-कण्डुरोग से इनका शरीर व्याप्त रहेगें अत एव (स्वर-तिरवणक्व-कंडूइय-विक्रय-तणू )स्वर-कर्कश एवं तीक्ष्ण नखों द्वारा खुजाया गया उनका शरीर विकृत-बना हुआ होगा और जगह २ उसमें घाव होंगे(टोल गति-विसम संधिबंध गा) इन की चाल उष्ट्रादि की चाल जैसी-होगी सन्धिबंधन इनके विषम होंगे (उक्कुडु अट्रिअविभत्त दुव्वल कुसंधयणकुप्पमाणकुसंठिया) इन के शरोर-को अस्थियां उत्कुटुक-यथास्थान की स्थिति से मनु ना टिहरी (वंकवलीविगयमेसणमुहा) यमनुभुण १२यसी साथी विकत तमा जुटिस वाथी सेवामा सय ४२ वागशे (दद् दुकिटिभसिब्भफुडिअपरुसच्छवी) એમના શરીરનું ચામડું, દ૬, કિટિભખાજ, સિમ વિગેરે વિકારોથી વ્યાપ્ત થશે, એથી તે ઘણુંજ કઠોર હશે અને એથી જ તે શરીરના દરેકે દરેક અવયવ ચિત્રલ-કનું–હશે, (कच्छखसराभिभूया) ४२५ पामा भने ५४२-४२५थी व्यात २ मेथी (खर तिक्तणक्खकडूइय-विकय तणू) १२-४४० मने तीन प ५४ाणे समर्नु शरीर वित थई गये मने ४५ णे तभी घाशे, (टोलगतिविसमसंधिबंधणा) सभनी यास ट्राहिनी २वी थशे. मना समिधन विषम शे. (उक्कुडुअट्रिअविभत्तदुव्वलकुसंधयणकुप्पमाणकुसंठिया) मेमनी शरीरनी मस्थिया . યથાસ્થાનની સ્થિતિથી રહિત હશે, અને વિભકત પરસ્પરમાં સંશ્લેષથી રહિત થશે એ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર

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