Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 918
________________ ९०६ ____ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे त्यचेटपीठमईक नगरनिगम श्रष्ठि सेनापति तथा सार्थवाह प्रभृति पदात् दूतसन्धिपाल एतानि पदानि ग्राह्यानि एतेषां व्याख्यानम् एतत् सूत्राव्यवहिते सप्तविंशतितमे सूत्रे द्रष्टव्यम् ‘सक्कारिता सम्माणिता' सत्कार्य सम्मान्य 'पडिविसज्जेइ' प्रतिविसर्जयति निजवासगमनाय सर्वान् आदिशतीत्यर्थः, अथ स पटखंडाधिपतिः श्री भरतो महाराजा यावत् परिच्छदः यथा वासगृहं प्रविशति तथा आह 'इत्थीरयणेणं इत्यादि इत्थीरयणेणं बत्तीसाए उडुकल्लाणिया सहस्सेहिं बत्तीसाए जणवयकल्लाणिया सहस्सेहिं बत्तीसाए बत्तीसइबद्धेहि णाडयसहस्सेहिं सद्धि संपरिबुडे भवणवरवडिसगं अईइजहा कुबेरोव्व देवराया केलाससिहरिसिंगभूयंति' स्त्रीरत्नेन सुभद्रया तथा द्वात्रिंशत्संख्याका ऋतुकल्याणिका सहसैः द्वत्रिंशत् सहस्रसंख्यायुक्ताभिः अमृतकन्यात्वेन सदा ऋतुषु षट्स कल्याणीभिः राजकन्याभिः तथा द्वात्रिंशता जनपदकल्याणिका सहस्त्रैः द्वात्रिंशत्सहस्त्र संख्यायुक्ताभिः जनपदाग्रणी कल्याणिकाभिः राजकन्याभिः, तथा द्वात्रिंशता द्वात्रिंशद बबै द्वात्रिंशत्पात्र युक्तः नाटकसहस्त्रैः द्वात्रिंशत्पात्रबद्ध द्वात्रिंशत्सहस्त्रसंख्यकनाटकैः सार्द्ध संपरिवृत्तः वेष्टितः भवनवरावतंसकं श्रेष्ठभवनावतंसकं स्वप्रधानराजभवनम् अत्येति प्रविशति स भरतः तत्र मंत्री महामंत्री गणक दौवारिक, अमात्य, चेटपीठमर्दक, नगर निगम श्रेष्ठी, सेनापति दूत सन्धिपाल इन सबका ग्रहण हुआ है इन पदों की व्याख्या २७ वे सूत्र में कर दी गई है। (सक्कारिता सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ) सत्कार सन्मान करके फिर भरत राजा ने इन्हें अपने २ स्थान पर जाने की आज्ञा दे दी (इत्थीरयणेणं ब तोसाए उडुकल्लाणिया सहस्सेहिं वत्तीसाए जणवयकल्लाणिया सहस्सेहिं बत्तीनबद्धेहिं णाउयसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे भवणवरवहिंसगं अईइ जहा कुबेसेव्व देरावया केलाससिंहरिसिंगभूयंति) इसके अनन्तर सुभद्रा नामक स्त्रीरत्न एवं ३२ हजार ऋतुकल्याणिकाओं से छ हो ऋतुओं में आनन्ददायनी राजकन्याओं से ३२ हजार जनपदाग्रणियों की कन्याओं से एवं ३२-३२ पात्रों से संबधित ३२ हजार नाटकों से युक्त हुआ वहकुबेर के जैसा भरत राजा ने कैलसगिरि के शिखर के तल्य अपने श्रेष्ठ भवनावतंसक के भीतर अपने - प्रधान राजभवन के भीरत प्रवेश किया चेट, पीठमर्दक, नगरनिगम श्रेष्ठि सेनापति संधिपाल सपोह या छ. मे પદોની વ્યાખ્યા ૨૭મા સૂત્રમાં કરવામાં આવી છે. (सकारिता सम्माणिता पडिविसज्जेइ) सर्वन सत्कृत तम सम्मानित शन श्रीमत नये मन पातपाताना स्थान ५२ पानी आज्ञा पापी. (इत्थिरयणेणं बत्तीसाए उडुकल्लाणियासहस्सेहिं बत्तीसाए जणवयकल्लाणियासहस्सेहिं बत्तीसइबद्धेहिं णाडय सहस्सेहि सद्धि संपरिबुडे भवणवरवडिंसगं अईइ जहा कुबेरोव्व देवराया केलाससिहरि सिंगभूयंति) त्या२ मा सति सुभद्रा नाम खी रत्नथी, ३२ ६२ तुयाशिमाथी ગાતુઓમાં આનંદદાયિની રાજકન્યાઓથી, ૩૨ હજાર જનપદાગ્રણીઓની કન્યાઓથી તેમજ ૩૨-૩૨ પાત્રોથી સંબદ્ધ ૩૨ હજાર નાટકોથી સમન્વિત થયેલ અને કુબેર જે લાગતે તે ભરત રાજા કૈલાસ ગિરિના શિખર તુલ્ય પોતાના શ્રેષ્ઠ ભવનાવતુંસકની અંદર જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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