Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 935
________________ प्रकाशिका टीका तृ०३वक्षस्कारःसू० ३० भरतराज्ञः राज्याभिषेकविषयकनिरूपणम् ९२३ बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसमाए एत्थ णं महं एगं सीहासणं विउच्वंति' तस्य खल्लु बहुसमरमणीयस्य भूमिभागस्य बहुमध्यदेश भागे अत्र खलु महत् एक सिंहासनं विकुर्वन्ति 'तस्स णं सीहाणस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते जाव दामवण्णगं समति' तस्य खलु सिंहासनस्य अयमेतद्पो वर्णव्यास: प्रज्ञप्तः कथितः सच विजयदेवसिंहासनस्यैव ज्ञातव्यः यावद्दामवर्णकम् यावदाम्नां वर्णकी यत्र तत्तथाभूतम् समस्तम् सम्पूर्ण सूत्रं वाच्यमिति शेषः। 'तएणं ते देवा अभिसे यमंडबं विउव्वंति' ततः खलु ते देवाः उक्तविशेषणविशिष्टम् अभिषेकमण्डपं विकुर्वन्ति 'विउवित्ता' विकुयं निर्माय 'जेणेव भरहे राया जाव पच्चप्पिणंति' यत्रैव भरतो राजा यावत्प्रयर्पयन्ति---यावत्पदात् यत्रैव भरतो राजा तत्रैव ते देवा उपागच्छन्ति उपागत्य उक्ताम् आज्ञप्तिकां भरताय राज्ञे समयन्तीत्यर्थः।। ___ 'तए णं से भरहे राया आभिभोगाणं देवाणं अंतिए एयम, सोच्चा णिसम्म हदतुह जाव पोसहसालाओ पडिणिक्खमई' तताखलु स भरतो महाराजा आभियोग्यानामाज्ञाकारिणां देवानाम् अन्तिके एतम् उक्तप्रकारकम् अर्थ विषयं श्रुत्वा निशम्य सम्यक्प्रकारेण स्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थणं एगं महं सीहासणं विउव्वंति, तस्स णं सीहासणस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते जाव दामवण्णगं सम्मत्तंति" विजयदेव के सिंहासन का जैसा वर्णन किया गया है वर्णन वही सब दामवर्णन तक का यहां पर भी ग्रहण करलेना चाहिये "तएणं ते देवा अभिसेयमडव विउ ति" इस तरह का जब अभिषेक मडप विकुर्वित हो चुकातब (विउवित्तिा जेणेव भरहे राया जाव पच्चप्पिणति") उन देवों ने मंडप की पूर्णरूप से. विकुर्वणा हो जाने की खवर महाराजा भरत के पास मेज दी. यहां यावत्पद से "तेणेव ते देवा उवागच्छंति. उवागच्छित्ता आणत्तियं" इस पाठ का ग्रहण हुआ है। (तए ण से भरहे राया आभिमोगाणं देवाणं अतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हतुद्र जाव पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ ) श्री भरत महाराजा ने आभियोग्य देवों से जब यह सब समाचारज्ञात किये तो वह छखंडोके अधिपति श्री भरत महाराजा बहुत ही हर्षित एवं पान प्रति३५ोनु मा प्रमाणे वन तारो सुधी ४२११मा मा . "तस्स ण बहसम रमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसमाए एत्थणं एगं महंसोहासण विउव्वंति तस्सणं सीहासणस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते जाव दामवण्णगं सम्मत्तति" (qयवना सि. હાસનનું જે પ્રમાણે વર્ણન કરવામાં આવેલું છે તેમજ “દામ સુધીનું વર્ણન અહીં પણ अह४२ से. "तएणं ते देवा अभिसेयम डवं विउध्वंति' मा प्रमाणे यारे समिष भ७५ वितिय यूपये। त्यारे (विउव्वित्ता जेणेव भरहे राया जाव पच्चप्पिणंति) ते भयोनी पूण ३५थी तैयार थपानी सूयना ते वोये २०० पासे ५हों याडी मही यावत् ५४थी "तेणेव ते देवा उवागच्छंति उवागच्छित्ता" से पाय थयो छे. (तएणं से भरहे राया आमिओगाणं देवाण अंतिए पयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ट तुद्र जाव पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ) श्री भरत महाराज यारे मामियाज हे। पासेथी જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્રા

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