Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 14
________________ उवागच्छइ उवागच्छित्ता मज्जणधरं अनप्पविसइ अनप्पविसित्ता अंतो अंतेउरंसि ण्हाया कयबलि-कम्मा कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ता किं ते वरपायपत्तनेउर-मणिमेहल हार-रइय-ओविय-कडग-खुड्डय-विचित्त वरवलयथंभियभया जाव आगास-फालिय-समप्पभं अंसयं नियत्था सेयणयं गंधहत्थि दरूढा समाणी अमयमहिय-फेणपंज-सन्निगासाहिं सेयचामरवालवीयणीहिं वीइज्जमाणी-वीइज्जमाणी संपत्थिया तए णं से सेणिए राया पहाए कवयबलिकम्मे जाव हत्थखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जसयक्खंधो-१, अज्झयणं-१ माणेणं चउचमराहिं वीइज्जमाणे धारिणिं देविं पिट्ठओ अनगच्छड़ । तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठओ-पिट्ठओ समणगम्म-माणमग्गा हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेनाए संद्धिं संपरिवडा महया भड-चडगर-वंदपरिक्खित्ता सव्विड्ढीए सव्वज्जुईए जाव दुंदुभिनिग्धोसनाइयरवेणं रायगिहे नयरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर[चउम्मह]-महापहपहेस नागरजणेणं अभिनंदिज्जमाणी-अभिनंदिज्जमाणी जेणामेव वेभारगिरि-पव्वए तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वेभारगिरि-कडग-तडपायमूले आरामेसुय उज्जाणेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसुय रूक्खेसु य गुच्छेसु य गुम्मेसु य लयासु य वल्लीसु य कंदरासु य दरीसु य चुंढीसु य जूहेसु य कच्छेसु य नदीसु य संगमेसु य विवरएसु य अच्छमाणी य पेच्छमाणी य मज्जमाणी य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य पल्लवाणि य गिण्हमाणी य माणेमाणी य अग्धायमाणी य परिभुजेमाणी य परिभाएमाणी य वेभारगिरिपायमूले दोहलं विणे-माणी सववओ समंता आहिंडइ तए णं सा धारिणी देवी सम्माणियदोहला विणीयदोहला-संपुण्ण-दोहला संपत्तदोहला जाया यावि होत्था । तए णं सा धारिणी देवी सेयणयगंधहत्थिं दरूढा समाणी सेणिएणं हत्थखंधवरगएणं पिडओपिट्ठओ समणुगम्ममाण-मग्गा-हय-गय-जाव रवेणं जेणेव रायगिहे नयरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता रायगिहं नयरं मज्झंमज्झेणं जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता विउलाई माणस्सगाई भोगभोगाई पच्चणभवमाणी विहरइ । __[२३] तए णं से अभए कुमारे जेणामेव पोसहसाला उवागच्छइ उवागच्छित्ता पुव्वसंगइयं देवं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ तए णं से देवे सगज्जियं सविज्जयं सफसियं पंचवण्णमेहोवसोहियं दिव्वं पाउसिरिं पडिसाहरइ पडिसाहरित्ता जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए । [२४] तए णं सा धारिणी देवी तंसि अकालदोहलंसि विणीयंसि सम्माणियदोहला तस्स गब्भस्स अनुकंपणट्ठाए जयं चिट्ठइ जयं आसयइ जयं सुवइ आहारं पि य णं आहारेमाणी-नाइतित्तं नाइकड्यं नाइकसायं नाइअंबिलं नाइमहरं जं तस्स गब्भस्स हियं मियं पत्थयं देसे य काले य आहारं आहारेमाणी नाइचित्तं नाइसोयं नाइमोहं नाइभयं नाइपरित्तासं ववगयचिंता-सोय-मोह-भय-परित्तासा उद्भज्जमाण-सुहेहिं भोयण-च्छायण-गंध-मल्लालंकारेहिं तं गब्भं सुहंसुहेण परिवहइ । [२५] तए णं सा धारिणी देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अद्धट्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्कंताणं अद्धरत्तकालसमयंसि सुकुमालपाणियापायं जाव सव्वंगसुंदरं दारगं पयाया, तए णं ताओ अंगपडियारियाओ धारिणिं देविं नवण्हं मासाणं बहपडिपन्नाणं जाव सव्वंगसुंदरं दारगं पयायं पासंति पासित्ता सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेंति वद्धावेत्ता करयलपरिग्गहिय सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वयासी-एवं खल [दीपरत्नसागर संशोधितः] [13] [६-नायाधम्मकहाओ]

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