Book Title: Agam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 12
________________ ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह अहं णं तहा करिस्सामि जहा णं मम चुल्लमाउयाए धारिणी देवी अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सइ त्ति कट्टु सेणियं रायं ताहिं इट्ठाहिं ज समासासेइ तए णं से सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ट - तुट्ठ-चित्तमाणंदिए जाव हरिसवस-विसप्पमाणहियए अभयं कुमारे सक्कारेइ समाणेइ पडिविसज्जेइ । [२१] तणं से अभए कुमारे सक्कारिए सम्माणइए पडिविसज्जिए समाणे सेणियस्स सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१ रण्णो अंतियाओ पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमित्ता जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीहासणे निसण्णे तए णं तस्स अभयस्स कुमारस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-नो खलु सक्का माणुस्सएणं उवाएणं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अकालदोहलमणोरहसंपत्तिं करित्तए नन्नत्थ दिव्वेणं उवाएणं अत्थि णं मज्झ सोहम्मकप्पवासी पुव्वसंगइए देवे महिड्ढीए जाव महासोक्खे, तं सेयं खलु ममं पोसहसालाए पोसहियस्स भचारिस्स उम्मु-क्कमणिसु-वण्णस्स ववगयमालावण्णगविलेवणस्स निक्खित्तसत्थमुलस्स एगस्स अबीयस्स दब्भसंथारो - वगयस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हित्ता पुव्वसंगइयं देवं मणसी करेमाणस्स विहरित । तए णं पुव्वसंगइए देवे मम चुल्लभाउयाए धारइणीए देवीए अयमेयारूवं अकाल मे दोहलं विणेहिति-एवं संपेहेइ संपेहेत्ता जेणेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहेइ पडिलेहेत्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ दुरिहित्ता अट्ठमभतं पगिण्हइ पगिण्हित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभचारो जाव पुव्वसंगइयं देवं मणसीकरेमाणे- मणसीकरेमाणे चिट्ठइ तए णं तस्स अभयकुमारस्स अट्ठमभत्ते परिणमाणे पुव्वसंगइयस्स देवस्स आसणं चलइ । तए णं से पुव्वसंगइए सोहम्मकप्पवासी देवे आसणं चलियं पासइ पासित्ता ओहिं पउंजइ तए णं तस्स पुव्वसंगइयस्स देवस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु म पुव्वसंगइए जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्ढभरहे रायगिहे नयरे पोसहसालाए पोसहिए अभए नामं कुमारे अट्ठमभत्तं पगिण्हित्ता णं ममं मणसीकरेमाणे मणसीकरेमाणे चिट्ठइ, तं सेयं खलु मम अभयस्स कुमारस्स अंतिए पाउब्भवित्तए - एवं संपेहेइ संपेहेत्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहण्णाइ समोहणित्ता संखेज्जाई जोयणाइं दंडं निसिरइ तं जहा - रयणाणं वइराणं वेरुलियाणं लोहिय-क्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पुलगाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंकाणं अंजणाणं रययाणं जायरूवाणं अंजणपुलागाणं फलिहाणं रिट्ठाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ परिसाडेत्ता अहासुहु पोग्गले परिगिण्हइ परिगिण्हित्ता अभयकुमारमणुकंपमाणे देवे पुव्वभवजणिय-नेह-पीइबहुमाणजायसोगे तओ विमाणवर-पुंडरीयाओ रयणुत्तमाओ धरणियल-गमण - तुरिय-संजणिय-गमणपयारो वाघुण्णिय-विमलकणग-पयरग-वडिंसगमउडुक्कडाडोवदंसणिज्जो अगमणि - कणगरयणपहकरपिमंडिय-भत्तिचित्तविणिउत्तग-मणु-गुणज-णियहरिसे पिंखोलमाणवरललिययकुंडलुज्जलिय-वयणगुणजणियसोम्मरूवो स सणिच्छरंगारकुज्जलियमज्झाभागत्थो यादो सरयचंदो दिवोसहिपज्जलुज्जलियदंसणाभिरामो उदु-लच्छिसमत्तजायसोहो पइट्ठगंधुद्धयाभिरामो मेरू विव नगरो विगुव्वियविचित्तवेसो दीवसमुद्दाणं असंखपरि माणनामधेज्जाणं मज्झकारेण वीइवयमाणो उज्जोयंतो पभाए विमलाए जीवलोयं रायगिहं पुरवरं च अभयस्स पासे ओवयइ दिव्वरूवधारी । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [11] उदिओविव [६-नायाधम्मकहाओ]

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