Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अठारह देशी भाषाओं का परिज्ञान आवश्यक था। प्रस्तुत सूत्र में मेघकुमार के वर्णन में अट्ठारसविहिप्पगारदेसीभासा विसारए' यह मूल पाठ है। पर वे अठारह भाषाएँ कौनसी थीं, इसका उल्लेख मूल पाठ में नहीं है। औपपातिक आदि में भी इसी तरह का पाठ मिलता है, किन्तु वहाँ पर भी अठारह देशी भाषाओं का निर्देश नहीं है, नवांगी टीकाकार आचार्य अभयदेव ने प्रस्तुत पाठ पर विवेचन करते हुए अष्टादश लिपियों का उल्लेख किया है, पर अठारह देशी भाषाओं का नहीं। अभयदेव ने विभिन्न देशों में प्रचलित अठारह लिपियों में विशारद लिखा है। समवायांग, प्रज्ञापना, विशेषावश्यकभाष्य की टीका और कल्पसूत्रटीका में अठारह लिपियों के नाम मिलते हैं। पर सभी नामों में यत्किचित् भिन्नता है। हम यहाँ तुलनात्मक अध्ययन करने वाले जिज्ञासुओं के लिए उनके नाम प्रस्तुत कर रहे हैं।
समवायांग के अनुसार (१) ब्राह्मी (२) यावनी (३) दोषउपरिका (४) खरोष्टिका (५) खरशाविका (पुष्करसारि) (६) पाहारातिगा (७) उच्चत्तरिका (८) अक्षरपृष्टिका (९) भोगवतिका (१०) वैणकिया (११) निण्हविका (१२) अंकलिपि (१३) गणितलिपि (१४) गंधर्वलिपि (भूतलिपि) (१५) आदर्शलिपि (१६) माहेश्वरी (१७) दामिलीलिपि (द्रावडी) (१८) पोलिन्दी लिपि।
प्रज्ञापना के अनुसार (१) ब्राह्मी (२) यावनी (३) दोसापुरिया (४) खरोष्ठी (५) पुक्खरासारिया (६) भोगवइया (भोगवती) (७) पहराइया (८) अन्तक्खरिया (९) अक्खरपुट्ठिया (१०) वैनयिकी (११) अंकलिपि (१२) निविकी (१३) गणितलिपि (१४) गंधर्वलिपि (१५) आयंसलिपि (१६) माहेश्वरी (१७) दोमिलीलिपि (१८) पौलिन्दी।
विशेषावश्यक टीका के अनुसार (१) हंस (२) भूत (३) यक्षी (४) राक्षसी (५) उड्डी (६) यवनी (७) तुरुक्की (८) कीरी (९) द्रविडी (१०) सिंघवीय (११) मालविनी (१२) नडि (१३) नागरी (१४) लाट (१५) पारसी (१६) अनिमित्ती (१७) चागक्की (१८) मूलदेवी।
कल्पसूत्र टीका के अनुसार (१) लाटी (२) चौडी (३) डाहली (४) कानडी (५) गूजरी (६) सौरहठी (७) मरहठी (८) खुरासानी (९) कोंकणी (१०) मागधी (११) सिंहली (१२) हाडी (१३) कीडी (१४) हम्मीरी (१५) परसी (१६) मसी (१७) मालवी (१८) महायोधी। चीनी भाषा में रचित "फा युअन् चु लिन्" नामक बौद्ध विश्वकोश में तथा
"ललित विस्तरा" के अनुसार [१] ब्राह्मी [२] खरोष्ठी [३] पुष्करसारी [४] अंगलिपि [५] बंगलिपि [६] मगधलिपि [७] मांगल्यलिपि [८] मनुष्यलिपि [९] अंगुलीयलिपि [१०] शकारिलिपि [११] ब्रह्मवलीलिपि [१२] द्राविडलिपि [१३] कनारिलिपि [१४] दक्षिणलिपि [१५] उग्रलिपि [१६] संख्यालिपि
२. समका
१. ज्ञातासूत्र १ टीका
२. समवायांग, समवाय १८ ४. विशेषावश्यकभाष्य गाथा ४६४ की टीका ५. कल्पसूत्र टीका
३. प्रज्ञापना ११३७ ६. ललितविस्तरा अध्याय १०
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