Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका अ० ८ महाबलादिषट्राजचरितनिरूपणम् २६५ त्वाऽष्टमं कुर्वन्ति कृत्वा चतुर्थ कुर्वन्ति, कृत्वा षष्टं कुर्वन्ति कृत्वा चतुर्थं कुर्वन्ति सर्वत्र सर्वकामगुणितेन पारयन्ति । चतुर्थ कुर्वन्तीत्यादि-सर्वत्र सर्वकामगुणितेन पारयन्तीत्यन्तस्यायं निष्कर्षः-सिंहनिष्क्रीडितं तपोद्विविधं महत् क्षुल्लकंच । तत्रानुलोमगत्याकरेंति ) ३ उपवास का परणा किया फिर ४ उपवास किये ( करित्ता छटुं करेंति ) ४ उपवास का पारणा किया-फिर २ उपवास किये (करित्ता अटुंमं करेंति ) २ उपवास का पारणा करके फिर ३ उपवास किये (करित्ता चउत्थं करेंति ) ३ उपवास का पारणा करके फिर १ उपवास किया ( करित्ता छटुं करेंति ) १ उपवास का पारणा करके फिर २ उपवास किये ( करित्ता चउत्थं करेंति )२ उपवास का पारणा करके फिर एक उपवास किया ( सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेति ) पारणा जो इन्हों ने किया वह सर्वत्र विगय सहित किया। ( एवं खलु एसा खुड्डागसीहनिकीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परीवाडी छहिं-मासेहिं सत्तहिं अहोरत्तेहिं य अहासुतं जाव अहाराहिया भवइ ) इस तरह क्षुद्र सिंहनिष्क्रीडित तप की प्रथम परिपाटी है। यह छह मास और सात दिन रात तक सूत्रोक्त विधि के अनुसार यावत् आराधित होती है। ___ अर्थात् इसके करने में सात दिन रात अधिक ६ मास का समय लगता है। यहां "सर्वकामगुणित " ऐसा जो पारणा का विशेषण उपवासाना पा२४॥ शने त्यार पछी यार पास ध्या. "करित्ता छ करें ति" या 6वासनां ५२४यो', त्यार माह में उपवास र्या. “करिता अदम करें ति" में वासनां पात्र ७५वास या “ करित्ता चउत्थ करेति
6qासना पार उशन मे पास ध्या. “करित्ता छद्रं करेंति" मे वासनां पा२४ ४शन मे पास ४ा. “करित्ता चउत्थ करेंति में वासनां पा२९।शन मे 64वास - “ सव्वत्थ सव्व कामगणि एणपारे ति" तमामे मां पा२९॥ विय सहित यो ता.
(एवं खलु एसा खुट्टागसीहनिक्की लियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहिं अहोरत्तेहिंय आहामुत्तं जाव अहाराहिया भवइ ) આ પ્રમાણે ક્ષુદ્રસિંહ નિષ્ક્રીડિત તપની આ પ્રથમ પરિપાટી છે. છ માસ અને સાત દિવસ રાત સુધી સૂત્રોક્ત વિધિ મુજ “યાવત’ તેની આરાધના હોય છે.
એટલે કે આ વ્રત કરવામાં છ માસ અને સાત દિવસ રાત એટલે quत मागे छ मही " सर्व कामगुणित " ने पायांना विशेष ३२ भू
શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૨