Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

Previous | Next

Page 792
________________ ७७८ ज्ञाताधर्मकथागसूत्रे भंभसारे पहाए कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए हत्थिखंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं सेयवरचामराहिं उधुव्वमाणाहि हयगयरहमहया भडचडगर कलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे मम पायवंदए हव्वमागच्छइ, तएणं दद्दरे सेणियस्स रन्नो एगेणं आसकिसोरएणं वामपाएणं अक्कंते समाणे अंतनिघाइए कए यावि होत्था, तएणं से दद्दरे अत्थामे अवले अवीरिए अपुरिसकारपरक्कमे अधारणिज्जमित्तिकएगंतमवक्कमइ अवकमित्ता करयलपरिग्गहियं मत्थए अंजलिं कडु एवं वयासी-नमोऽत्थु णं मम धम्मायरियस्स जाव संपाविउकामस्स पुटिव पि य णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पञ्चक्खाए, जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए, तं इयाणि पि तस्सेव अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जाव सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामि जावजीवं, सव्वं असणं ४ पच्चक्खामि जावजीवं जंपि य णं इमं सरीरं इठं कंतं जाव मा फुसंतु एयपि णं चरिमेहिं ऊसासेहि वोसिरामित्तिकटु, वोसिरइ तएणंददरे कालमासे कालं किच्चा जाच सोहम्मे कप्पे ददरवडिसए विमाणे उववायसभाए दद्दरेदेवत्ताए उववन्ने, एवं खलु गोयमा ! दद्दरेणं सा दिव्वा देविड्डी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया। ददरस्त णं भंते ! देवस्स केवइयकालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि पलि ओवमाई ठिई पण्णत्ता, से णं भंते ! दद्दुरे देवे ताओ देवलो શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૨

Loading...

Page Navigation
1 ... 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846