Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टी0अ0 ९ माकन्दिदारकचरितनिरूपणम् ५७१ गमनवती, 'सोयमाणी विव तव चरणखीणपरिभोगा चयणकाले देववरवहू'शोचन्तीव तपश्चरणक्षीणपरिभोगा च्यवनकाले देववरवधूः-तपश्चरणक्षीणपरिभोगा-भुक्ततपवरणफला च्यवनकाले-देवभवस्थितिक्षयसमये देववरवधूरिव शोचन्ती-तद्वस्थितजनविषादयोगात् शोकं कुर्वतीव दृश्यते । पुनः सा नौका कीदृशी जाता इत्याह'संचुण्णियकट्ठकूबरा' इत्यादि । ' संचुण्णियकट्ठकूबरा' संचूर्णितकाष्टकूवरा संचूणितानि अत्यर्थंची भूतानि काष्ठानि कूबरं च-मुखं यस्याः सा तथा, 'भग्गमेढी' भग्नमेधिः भग्ना= टितः मेधिः सकलनौकाधारभूतः स्तम्मो यस्याः सा तथा, 'मोडियसहस्समाला ' मोटितसहस्रमाला-मोटित: भग्नः सहस्रमाल:= सहस्रसंख्यजनाधारभूतो माला उपरितनभागो यस्याः सा तथा, 'सूलाइयवंकपरिमासा' शूलाचितवक्रपरिमासा शूलाचितइव शूलारोपितइव वक्र:=कुजः परिमासः ती हुई लड़खडाने लग जाती है-उसी प्रकार यह नौका भी तरंगो से आहत होकर मानों थकावट की वजह से ही चलने में लड़खड़ा रही थी। ( सोयमाणी विव तवचरणखीणपरिभोगा चयणकाले देवरवहू ) तपश्चरणका जिसने फल भोग लिया है-और अब जिसके च्यवन का समय आ गया है ऐसी देवाङ्गना जिस प्रकार शोक से व्याकुल-चंचल -बन जाती है उसी प्रकार यह नौका भी बिलकुल चंचल बन गई थी। ( संचुण्णिय कहकूबरा ) उस समय इस नौका के कष्ट और कूबर मुख-चूर्णी भूत बन चुके थे। (भागमेढी ) इसका अपना सकल आधार भूत स्तंभ टूट चुका था। ( मोडिय सहस्स माला ) सहस्रसंख्यजनों का आधार भूत उपरितन भाग इसका भग्न हो चुका था । (सूलाइ यवक परिमासा ) शूल पर आरोपित किये हुए के समान इसका परिડિયાં ખાવા માંડે છે તેમજ તે નાવ પણ મેજોએથી અથડાઈને જાણે કે થાકીને લથડીયાં ખાવા ન માંડી હોય ! (सोयमाणी विव तवचरणखीणपरिभोगा चयणकाले देववर बहू)
તપનું ફળ જેણે ભેળવી લીધું છે અને હવે પતન થવાને સમય આવવાથી દેવાંગના જેમ શોક વ્યાકુળ ચંચળ થઈ જાય છે, તે પ્રમાણે જ मा ना ५ मनी 5 ता. (स चुण्णियकहकूबरा ) भान माथी અથડાતાં અથડાતાં ત્યાં સુધી નાવના કાષ્ટ અને કૂબર–મુખ નાશ પામ્યાં
तi. ( भगामे ढी) नावनो माधार भूत स्त' ( ima) तूटी ५७ये। हता. ( माडियसहस्समाला ) । माणुसे या माश्रय भेगपी राई ते नावनी G५२न। ला तूटी गयो छतो. (सूलाइयवं कपरिमासा ) शूख ७५२ भूपामा
શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૨